यह मंत्र देवी दुर्गा को समर्पित है, जिन्हें शक्ति और संरक्षण की सर्वोच्च देवी माना जाता है। यह मंत्र सभी प्रकार के मंगल प्रदान करने वाली, कल्याण करने वाली, सभी मनोरथों को सिद्ध करने वाली, शरण ग्रहण करने योग्य, तीन नेत्रों वाली, शिव पत्नी, नारायण पत्नी देवी दुर्गा की स्तुति करता है।
यह मंत्र अक्सर नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव के दौरान गाया जाता है, जो देवी दुर्गा की पूजा को समर्पित है। यह उन लोगों द्वारा भी गाया जाता है जो किसी भी कार्य में सफलता के लिए उनकी कृपा चाहते हैं, या जो अपने जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
यहाँ मंत्र के कुछ महत्वपूर्ण शब्दों और वाक्यांशों की व्याख्या दी गई है:
सर्व मंगल मांगल्ये: सभी मंगलों में मंगल, यानि सभी प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली।
शिवे: कल्याणकारी।
सर्वार्थ साधिके: सभी मनोरथों को सिद्ध करने वाली।
शरण्ये: शरणागत वत्सला, यानि शरण ग्रहण करने योग्य।
त्रयंबके: तीन नेत्रों वाली, यानि भूत, भविष्य और वर्तमान को देखने वाली।
गौरी: शिव पत्नी।
नारायणी: विष्णु की पत्नी।
नमः अस्तु ते: तुम्हें नमस्कार हैं।
अर्थ:
हे देवी दुर्गा! तुम सभी मंगलों में मंगल हो, कल्याणकारी हो, सभी मनोरथों को सिद्ध करने वाली हो, शरण देने योग्य हो, तीन नेत्रों वाली हो, शिव पत्नी हो, नारायण पत्नी हो, तुम पर मैं नमस्कार करता हूँ।
यह मंत्र अक्सर नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव के दौरान गाया जाता है, जो देवी दुर्गा की पूजा को समर्पित है। यह उन लोगों द्वारा भी गाया जाता है जो किसी भी कार्य में सफलता के लिए उनकी कृपा चाहते हैं, या जो अपने जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
यहाँ मंत्र के कुछ महत्वपूर्ण शब्दों और वाक्यांशों की व्याख्या दी गई है:
सर्व मंगल मांगल्ये: सभी मंगलों में मंगल, यानि सभी प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली।
शिवे: कल्याणकारी।
सर्वार्थ साधिके: सभी मनोरथों को सिद्ध करने वाली।
शरण्ये: शरणागत वत्सला, यानि शरण ग्रहण करने योग्य।
त्रयंबके: तीन नेत्रों वाली, यानि भूत, भविष्य और वर्तमान को देखने वाली।
गौरी: शिव पत्नी।
नारायणी: विष्णु की पत्नी।
नमः अस्तु ते: तुम्हें नमस्कार हैं।
अर्थ:
हे देवी दुर्गा! तुम सभी मंगलों में मंगल हो, कल्याणकारी हो, सभी मनोरथों को सिद्ध करने वाली हो, शरण देने योग्य हो, तीन नेत्रों वाली हो, शिव पत्नी हो, नारायण पत्नी हो, तुम पर मैं नमस्कार करता हूँ।
माँ दुर्गा स्तुति लिरिक्स Maa Durga Stuti Navratri Lyrics
सर्व मंगल मांगल्य,शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ए त्र्यंबके गौरी,
नारायणी नमोस्तुते।
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां,
उमा रमा गौरी ब्रह्माणी,
जय त्रिभुवन सुख कारिणी मां।
हे महालक्ष्मी हे महामाया,
तुम में सारा जगत समाया,
तीन रूप तीनों गुण धारिणी,
तीन काल त्रैलोक बिहारिणी।
हरि हर ब्रह्मा इंद्रादिक के,
सारे काज संवारिणी माँ,
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां।
शैल सुता मां ब्रह्मचारिणी,
चंद्रघंटा कूष्मांडा माँ,
स्कंदमाता कात्यायनी माता,
शरण तुम्हारी सारा जहां।
कालरात्रि महागौरी तुम हो,
सकल रिद्धि सिद्धि धारिणी मां,
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी माँ।
अजा अनादि अनेका एका,
आद्या जया त्रिनेत्रा विद्या,
नाम रूप गुण कीर्ति अनंता,
गावहिं सदा देव मुनि संता।
अपने साधक सेवक जन पर,
सुख यश वैभव वारिणी मां,
जय जगजननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां।
दुर्गति नाशिनी दुर्मति हारिणी,
दुर्ग निवारण दुर्गा मां,
भवभय हारिणी भवजल तारिणी,
सिंह विराजिनी दुर्गा मां,
पाप ताप हर बंध छुड़ाकर,
जीवो की उद्धारिणी माँ,
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी माँ।