महागौरी माता आरती लिरिक्स Magagouri Mata Aarti Navratri Aarti

माँ महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ ऐसा कह दिया जिससे देवी के मन का आहत हो गया और वे तपस्या में लीन हो गईं। कई वर्षों तक तपस्या करने के बाद, जब पार्वती जी नहीं आईं, तो भगवान शिव उन्हें खोजने के लिए गए। जब वे उनके पास पहुंचे, तो वे उनकी सुंदरता और पवित्रता से मंत्रमुग्ध हो गए। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण था, और उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई दे रही थी। भगवान शिव पार्वती जी की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें गौर वर्ण का वरदान दिया। पार्वती जी का रंग सफेद हो गया, और उन्हें महागौरी के नाम से जाना जाने लगा।

महागौरी को शाकंभरी देवी भी कहा जाता है। वे हिमालय की श्रृंखला में प्रकट हुई थीं। उन्होंने देवताओं की प्रार्थना पर कामदेव को पुनर्जीवित किया था। महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है। उनकी पूजा करने से भक्तों को कई लाभ होते हैं। वे अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं। महागौरी के कुछ अन्य नामों में शुभंकारी, श्वेतांबरा और वृषध्वजा शामिल हैं। शुभंकारी का अर्थ है "सदैव शुभ फल देने वाली", श्वेतांबरा का अर्थ है "सफेद वस्त्र धारण करने वाली", और वृषध्वजा का अर्थ है "वृषभ पर सवार"।

Naye Bhajano Ke Lyrics

महागौरी माता आरती लिरिक्स Magagouri Mata Aarti Navratri Aarti

महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे,
उमा रमा ब्रम्हाणी,
अपनी शरण लीजे,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।

गौर वर्ण अति सोहे,
वृषभ की असवारी,
मैया वृषभ की असवारी,
स्वेत वस्त्रो में मैया,
लागे छवि प्यारी,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।

सृष्टि रूप तुम्हीं हो,
शिव अंगी माता,
मैया शिव अंगी माता,
भक्त तुम्हारे अनगिन,
नित प्रतिगुण गाता,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।

दक्ष के घर जन्मी तुम,
ले अवतार सती,
मैया ले अवतार सती,
प्रगटी हिमाचल के घर,
बने शिव पार्वती,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।

नवदुर्गो में मैया,
आठवाँ तेरा स्वरूप,
मैया आठवाँ तेरा स्वरूप,
शिव भी मोहित हो गये,
देख के तेरा रूप,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।

आठवें नवरात्रे को,
जो व्रत तेरा करे,
मैया जो व्रत तेरा करे,
पाता प्यार तुम्हारा,
भव सिंधु वो तरे,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।

वेद पुराण में महिमा,
तेरी है अपरम्पार,
मैया तेरी है अपरम्पार,
हम अज्ञानी कैसे,
पायें तुम्हारा पार,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।

महागौरी महामाया,
आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते,
करुणामयी दया कीजे,
निशदिन तुझे ध्याते,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।

शिव शक्ति महागौरी,
चरण शरण कीजे,
मैया चरण शरण कीजे,
बालक जानके अपना,
हमपे दया कीजे,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।

महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे,
उमा रमा ब्रम्हाणी,
अपनी शरण लीजे,
महागौरी दया कीजे,
जगजननी दया कीजे।
 



दुर्गा अष्टमी स्पेशल : माँ महागौरी की आरती Maa Mahagauri Aarti with Lyrics | ऐसे करें माँ को प्रसन्न

 
"महागौरी दया कीजे" भजन का अर्थ
यह भजन देवी महागौरी की स्तुति करता है, जो नवरात्रि की आठवीं देवी हैं। भजन में, भक्त देवी से अपनी कृपा करने की प्रार्थना करते हैं। वे देवी की शक्ति, सौंदर्य और दयालुता की भी स्तुति करते हैं।
भजन के कुछ प्रमुख अंशों का अर्थ निम्नलिखित है:
"महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे, उमा रमा ब्रम्हाणी, अपनी शरण लीजे, महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी से अपनी कृपा करने की प्रार्थना करते हैं। वे देवी को उमा, रमा और ब्रह्माणी के रूप में स्वीकार करते हैं।
"गौर वर्ण अति सोहे, वृषभ की असवारी, मैया वृषभ की असवारी, स्वेत वस्त्रो में मैया, लगे छवि प्यारी, महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी के गौर वर्ण और वृषभ पर सवार होने का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि देवी की छवि बहुत प्यारी है।
"सृष्टि रूप तुम्हीं हो, शिव अंगी माता, मैया शिव अंगी माता, भक्त तुम्हारे अनगिन, नित प्रतिगुण गाता, महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी को सृष्टि का रूप बताते हैं। वे कहते हैं कि देवी शिव की अंगीभूत हैं और उनके भक्त उनकी महिमा का गुणगान करते हैं।
"दक्ष के घर जन्मी तुम, ले अवतार सती, मैया ले अवतार सती, प्रगटी हिमाचल के घर, बने शिव पार्वती, महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी के सती अवतार का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि देवी ने दक्ष के घर में सती के रूप में जन्म लिया और फिर हिमालय के घर में पार्वती के रूप में प्रकट हुईं।
"नवदुर्गो में मैया, आठवाँ तेरा स्वरूप, मैया आठवाँ तेरा स्वरूप, शिव भी मोहित हो गये, देख के तेरा रूप, महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी को नवदुर्गाओं में से आठवीं देवी के रूप में स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव भी देवी के रूप से मोहित हो गए थे।
"आठवें नवरात्रे को, जो व्रत तेरा करे, मैया जो व्रत तेरा करे, पाता प्यार तुम्हारा, भव सिंधु वो तरे, महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी के आठवें नवरात्रि व्रत की महिमा का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, वह देवी की कृपा प्राप्त करता है और भव सागर से पार हो जाता है।
"वेद पुराण में महिमा, तेरी है अपरम्पार, मैया तेरी है अपरम्पार, हम अज्ञानी कैसे, पायें तुम्हारा पार, महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी की महिमा की प्रशंसा करते हैं। वे कहते हैं कि वे अज्ञानी हैं और देवी की महिमा को समझ नहीं सकते।
"महागौरी महामाया, आरती तेरी गाते, मैया आरती तेरी गाते, करुणामयी दया कीजे, निशदिन तुझे ध्याते, महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी की आरती गाते हैं और उनकी कृपा की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं कि वे देवी का ध्यान करते हैं।
शिव शक्ति महागौरी, चरण शरण कीजे, मैया चरण शरण कीजे, बालक जानके अपना, हमपे दया कीजे, महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे
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