आसा का ईंधण करूँ हिंदी मीनिंग Aasa Ka Indhan Karu Meaning : kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
आसा का ईंधण करूँ, मनसा करूँ बिभूति ।जोगी फेरि फिल करूँ, यौं बिनना वो सूति ॥
Aasha Ka Indhan Karu, Manasa Karu Vibhuti
Jogi Pheri Phil Karu, Yo Binana Vo Suti.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
साधक हरी साधना के विषय में कहता है की आशा को इंधन बना कर मैं जला दूँ, मन की विषय वासनाओं को जलाकर राख बना दूँ, जोगी की तरह से बार बार फेरी लगाने वाले इस तन को नष्ट कर दूँ. इसी तरह से मैं जीवन को इस सूत्र में बीन लूँ। सांगरूपक अलंकर का उपयोग करते हुए कबीर साहेब कहते हैं की आशा और मन ही व्यक्ति को साधना से भटकाव पैदा करता है। अतः साहेब आशा, तृष्णा और मन को नियंत्रित करने का सन्देश देते हैं। दुसरे शब्दों में कबीर साहेब कहते हैं की आशा का परित्याग इंधन के रूप में जलाकर कर डॉन, योगी बनकर इस संसार में ही इधर उधर भटकता रहूँ मन को भष्म कर दूँ, अहम् को समाप्त कर दूँ और इस प्रकार अच्छे कार्यों रूपी सूत्र में इस मानव जीवन को पीरो लूँ, यही भक्ति का एक आधार है।
शब्दार्थ :
- आसा का ईंधन करूँ : सांसारिक आशाओं का इंधन करूँ, जलाने के रूप में इनको इंधन बना लूँ।
- ईंधन : जलावन, जैसे की लकड़ी आदि.
- मनसा : मनतत्व, ममता और मोह और अहंकार।
- करुँ : कर दूँ.
- विभूति : विभूति, क्षार, राख.
- जोगी : योगी.
- फेरी फिल करौं : फेरी लगाना, चक्कर काटना(बार बार जन्म लेना और मरना)
- यों बिनवाँ वै सूति : जीवन रूपी वस्त्र का सूत ऐसे बीनना है.
- फिल : नष्ट करना.