मैमन्ता मन मारि रे घट ही माहैं घेरि हिंदी मीनिंग Maimanta Man Mari Re Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
मैमन्ता मन मारि रे, घट ही माहैं घेरि ।
जबहिं चालै पीठि दे, अंकुस दै-दै फेरि ॥
Maimanta Man Mari Re, Ghat Mahe Gheri,
Jabahi Chale Peethi De, Ankush De De Pheri.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
मन को नियंत्रित करने के लिए कबीर साहेब कहते हैं की भक्ति और जीवन को संतुलित रूप से यापन करने के लिए मन को नियंत्रण में रखना अत्यंत ही आवश्यक है। मन विचलन करने वाला और मदमस्त है, इसे मारना आवश्यक है। इसके निर्णय को बाहर आने से पहले ही घट (मन ) में ही इसे घेर कर मार डालो। जब जब भी मन विषय विकार, माया जनित कार्यों की तरफ अग्रसर हो, जब यह साधक की तरफ पीठ दे, विमुख होने लगे तब इसे ज्ञान के अंकुश से अपनी तरफ पुनः मोड़ लो।
अंकुश क्या है ? अंकुश है गुरु के ज्ञान मार्ग का अनुसरण करते हुए यह समझना की मन ही समस्त विपत्तियों का घर है, मन ही उसे कुमति के मार्ग की तरफ ले जाता है। अतः मन को अपने काबू में करना कठिन है क्योंकि जैसे हाथी (शक्तिशाली जीव) को अंकुश की पीड़ा से नियंत्रित किया जाता है ऐसे ही अपने मन को हमें नियंत्रित करना होता है, और साहेब किस स्थानों पर बताते हैं की यह कार्य आसान नहीं है। एक तरफ तो इस संसार के समस्त आकर्षण हैं जिस दिशा में मन दौड़ा चला जाता है। दूसरी तरफ अपने मन को नियंत्रण करने में संघर्ष करना पड़ता है। जैसे अंकुश हाथी के लिए पीड़ा दायक होता है वैसे ही स्वंय के मन को नियंत्रण में करना और अधिक पीड़ा दायक और यत्न भरा कार्य है।
|
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
|