मैया मेरे घर आती क्यों नहीं

मैया मेरे घर आती क्यों नहीं

मैया मेरे घर आती क्यों नहीं,
मेरी बिगड़ी बनती क्यों नहीं,
मैया मेरे घर आती क्यों नहीं,
मेरी बिगड़ी बनती क्यों नहीं।

मैंने कलश भराया तेरे लिए,
चरणों को धुलाती क्यों नहीं,
मैया मेरे घर आती क्यों नहीं,
मेरी बिगड़ी बनती क्यों नहीं।

मैं चौकी सजाई तेरे लिए,
मैया आसन लगती क्यों नहीं,
मैया मेरे घर आती क्यों नहीं,
मेरी बिगड़ी बनती क्यों नहीं।

श्रृंगार मंगाया तेरे लिए,
सज धज के दिखाती क्यों नहीं,
मैया मेरे घर आती क्यों नहीं,
मेरी बिगड़ी बनती क्यों नहीं।

मैं जोत जलाई तेरे लिए,
उजियाला फैलाती क्यों नहीं,
मैया मेरे घर आती क्यों नहीं,
मेरी बिगड़ी बनती क्यों नहीं।

मैंने चुनरी मंगाई तेरे लिए,
मैया ओढ़ के दिखाई क्यों नहीं,
मैया मेरे घर आती क्यों नहीं,
मेरी बिगड़ी बनती क्यों नहीं।

मैंने हलवा बनाया तेरे लिए,
मैया भोग लगाती क्यों नहीं,
मैया मेरे घर आती क्यों नहीं,
मेरी बिगड़ी बनती क्यों नहीं।

मैंने कीर्तन कराया तेरे लिए,
मैया दर्शन दिखाती क्यों नहीं,
मैया मेरे घर आती क्यों नहीं,
मेरी बिगड़ी बनती क्यों नहीं।
 


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