काई काम की उमराव, आ सरकारी नौकरी, एक पल को कोनी चैन, कदे बिराजो दो घड़ी, में कैउ सा या बात पता की, म्हारी बात कागज पर लिखलो, गोरो रंग साँवलो हो जावे, तीखे तावड़िये में मत निकलो।
जरा सी देर में आऊ सा, पचरंगी चुंदड़ी लाऊ सा, म्हारी मरवण म्हारी कामणगारी, नैना माय बसाऊ सा, एक बार मने थे जावा दियो, मत राखो सा इत तो पहरो, गोरो रंग साँवलो होवा दियो, म्हारो रंग प्रीत को है गहरो।
मानो सा म्हारी बात ने, जानो तो जाओ रात ने, जग मग करे सारो जयपुरियो, ले चालो माने साथ में, आप रूप रूपाला घणा हटीला, काई मैं करू के पिया पिघलो, गोरो रंग साँवलो हो जावे, तीखे तावड़िए में मत निकलो।