साधु सती और सूरमा इनका मता अगाध मीनिंग Sadhu Sati Aur Surama Meaning

साधु सती और सूरमा इनका मता अगाध मीनिंग Sadhu Sati Aur Surama Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

साधु सती और सूरमा, इनका मता अगाध |
आशा छाड़े देह की, तिनमें अधिका साध ||
 
Sadhu Sati Aur Surama Inaka Ata Agadh,
Aasha Chhade Deh Ki, Tiname Adhika Sadh.
 
साधु सती और सूरमा इनका मता अगाध मीनिंग Sadhu Sati Aur Surama Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

सन्त, सती और शूर (वीर) इनका मत अगम्य है| ये तीनों ही अपने शरीर की आशा तक को छोड़ देते हैं, इनमें सन्त जन अधिक निश्चय वाले होते होते हैं  जो अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पित होते हैं. इस दोहे में संत कबीर दास जी हमें यह बता रहे हैं कि साधु, सती और सूरमा तीनों ही अपने लक्ष्य के प्रति अत्यंत दृढ़ निश्चयी होते हैं। ये तीनों ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शरीर की आशा को छोड़ देते हैं।

इस दोहे में "आशा छाड़े देह की" का अर्थ है कि ये तीनों ही शरीर के सुखों और लाभों की आशा को त्याग देते हैं। वे जानते हैं कि शरीर नश्वर है और एक दिन मर जाएगा। इसलिए, वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शरीर के सुखों और लाभों को महत्व नहीं देते हैं।

इस दोहे में "तिनमें अधिका साध" का अर्थ है कि इन तीनों में से साधु का निश्चय सबसे अधिक दृढ़ होता है। साधु का लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना होता है, इश्वर की भक्ति करना होता है। वे जानते हैं कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए उन्हें शरीर की सभी वासनाओं और इच्छाओं को त्यागना होगा। इसलिए, वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक दृढ़ निश्चयी होते हैं।

 
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