राम बियोगी तन बिकल ताहि न चीन्हे कोइ हिंदी मीनिंग Ram Biyogi Tan Vikal Meaning

राम बियोगी तन बिकल ताहि न चीन्हे कोइ हिंदी मीनिंग Ram Biyogi Tan Vikal Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

राम बियोगी तन बिकल, ताहि न चीन्हे कोइ।
तंबोली के पान ज्यूं , दिन-दिन पीला होइ ॥
 
Ram Biyogi Tan Vikal, Tahi Na Cheenhe Koi,
Tamboli Ke Pan Jyu, Din Din Peela Hoi.
 
 
राम बियोगी तन बिकल ताहि न चीन्हे कोइ हिंदी मीनिंग Ram Biyogi Tan Vikal Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर साहेब की वाणी है की राम (इश्वर) के वियोग में तन विकल रहता है, तन तड़पता है। इस स्थिति को कोई चिन्हित नहीं कर सकता है, देखकर पता नहीं लगाया जा सकता है। तम्बोली की पान के पत्ते की भाँती वह दिन प्रतिदिन पीला होने लगता है, शारीरिक रूप से वियोगी कमजोर होने लगता है। इस दोहे का आशय है साधक जो इश्वर की प्राप्ति में लगा रहता है वह व्यथित रहता है उसे इश्वर की प्राप्ति हेतु अन्दर से पीड़ा होती है। इसी कारण वह शारीरिक रूप से भी कमोर होने लगता है।  इस दोहे में कबीर दास जी राम के वियोग में भक्त की पीड़ा का वर्णन कर रहे हैं। वे कहते हैं कि राम के वियोग में भक्त का शरीर बिकल हो जाता है। वह इतना दुखी होता है कि उसे कोई पहचान नहीं पाता। वह बिना सींचे तम्बोली के पान की तरह दिन-दिन पीला पड़ता जाता है।
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