कबीर तुरी पलाणियां चाबक लीया हाथि हिंदी मीनिंग

कबीर तुरी पलाणियां चाबक लीया हाथि हिंदी मीनिंग Kabir Turi Palaniya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit

कबीर तुरी पलाणियां, चाबक लीया हाथि।
दिवस थकां सांई मिलौं, पीछै पड़िहै राति ॥
 
Kabir Turi Palaniya, Chabad Liya Hathi,
Divas Thaka Sai Milo, Pichhe Padihe Hai Rati.
 
कबीर तुरी पलाणियां चाबक लीया हाथि हिंदी मीनिंग Kabir Turi Palaniya Meaning
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने वाले दृढ साधक के विषय में वर्णन करते हैं की उन्होंने घोड़े की जीन को कस लिया है और अपने हाथ में चाबुक को हाथ में पकड़ लिया है। साधक जीवन के रहते हुए (दिन में ) इश्वर से परिचय करना चाहता है, एकाकार होना चाहता है क्योंकि आगे तो रात्री (बुढापा, जीवन की समाप्ति) है।
शब्दार्थ
तुरी : घोड़ी
पलांणियां = ( मनरूपी ) घोड़े पर पलान कस लिया/पलान - घोड़े की जीन
थकां ' का अर्थ ' अवसान ' या ' समाप्ति/ दिन का ढल जाना। 
 
इस दोहे में संत कबीर दास जी अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तत्परता और दृढ़ संकल्प का वर्णन करते हैं। इस दोहे का पहला भाग कहता है कि तुरी पलाणियां। इसका अर्थ है कि मैंने अपने घोड़े की जीन कस ली है। दोहे का दूसरा भाग कहता है कि चाबक लीया हाथि। इसका अर्थ है कि मैंने अपने हाथ में चाबुक ले ली है। कबीर दास जी कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। वे अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। वे जानते हैं कि अगर वे देर करेंगे तो वे अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाएंगे।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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