उजला कपड़ा पहरि करि पान सुपारी खाहिं मीनिंग Ujala Kapada Pahari Meaning

उजला कपड़ा पहरि करि पान सुपारी खाहिं मीनिंग Ujala Kapada Pahari Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Meaning

उजला कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाहिं।
एकै हरि के नाव बिन, बाँधे जमपुरि जाहिं॥
 
Ujala Kapada Pahari Kari, Paan Supari Khahi,
Eke Hari Ke Naav Bin, Bandhe Jampuri Jahi.
 
 
उजला कपड़ा पहरि करि पान सुपारी खाहिं मीनिंग Ujala Kapada Pahari Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर इस दोहे में हमें सांसारिक मोह-माया से बचने की बात कहते हैं। वे कहते हैं कि सांसारिक सुख-सुविधाएँ हमें मृत्यु के बाद नहीं बचा पाएंगी। केवल ईश्वर का नाम ही हमें यमराज के बंधनों से मुक्त कर सकता है।

पहली पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि बढ़िया उजले कपड़े उन्होंने पहन रखे हैं। कबीर कहते हैं कि लोग सांसारिक सुख-सुविधाओं को पाने के लिए तरह-तरह के प्रयास करते हैं।
दूसरी पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि पान-सुपारी खाकर मुँह लाल कर लिया है अपना। कबीर कहते हैं कि लोग सांसारिक सुख-सुविधाओं का आनंद लेने के लिए तरह-तरह के साधन अपनाते हैं।
तीसरी पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि यह साज-सिंगार अन्त में बचा नहीं सकेगा। कबीर कहते हैं कि सांसारिक सुख-सुविधाएँ हमें मृत्यु के बाद चौथी पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि यमदूत बाँधकर ले जायेंगे। कबीर कहते हैं कि मृत्यु के बाद यमदूत हमें अपने साथ ले जाएंगे।
पाँचवीं पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि उस दिन केवल हरि का नाम ही यम-बंधन से छुड़ा सकेगा। कबीर कहते हैं कि केवल ईश्वर का नाम ही हमें यमराज के बंधनों से मुक्त कर सकता है।
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