सिंह पर चढ़कर दादी मेरी आई है
सिंह पर चढ़कर,
दादी मेरी आई है,
खुशियाँ ही खुशियां,
घर में मेरे छाई है,
पल पल नैणा,
तुझको माँ निहारे,
चरणों मे तेरे रहें,
आई आई आई,
मेरी दादी घर में आई।
मनवा झूमे नाचे मेरा मन,
दादी के आने से,
महका ये आँगन,
हाथों में माँ के,
सोने का कंगन,
नैणों की ज्योती,
लागे है पावन,
कैसे करूँ,
शुक्रिया मेरी माँ,
आई आई आई,
मेरी दादी घर में आई।
छनछन पैजनिया,
ओढ़े चुनरिया,
आई है दादी मेरे आँगनिया,
माथे पे कुमकुम,
सोणी सी बिंदिया,
लागे है जैसे कोई दुल्हनिया,
कैसे करूँ मनुहार मेरी माँ,
आई आई आई,
मेरी दादी घर में आई।
पलकों की कंघी से बाल संवारुँ,
गंगा की बूंदों से चरण पखारुँ,
फूलों से तेरा गजरा सजाऊँ,
सेवा में तेरी मैं बिछ जाऊँ,
कैसे रिझाऊँ तुझे मेरी माँ,
आई आई आई,
मेरी दादी घर में आई।
चंदन की चौकी पे,
तुझको बिठाऊँ
दिल से तुझे मैं आज सजाऊँ,
भोग बनाऊँ तुझको जिमाऊँ,
दिल से तेरा मैं लाड लडाऊँ,
खुद को करूँ अर्पण मेरी माँ,
आई आई आई,
मेरी दादी घर में आई।
आंखों में कजरा मेहन्दी लगाये,
हाथों से मधु तुझको सजाये,
तेरी ये लाडो तुझको बुलाये,
चरणों में तेरे शीश नवाये,
आके लगाले गले मेरी माँ,
आई आई आई,
मेरी दादी घर में आई।
दादी घर में आई|| Dadi ghar me aai||Dadi Bhajan||Ranisati Dadi/Kedsati Dadi Bhajan|Madhu Kedia2023