अंखियां दे विच सोना श्याम वसदा
अंखियां दे विच सोना श्याम वसदा,
किवे खोला मैं अंखियां,
अंखियां दे विच मेरा यार वसदा,
किवे खोला मैं अंखियां।
श्याम सुन्दर जी दी किरपा होई,
दो नैना च रोशन होई,
सुरमे कजले दी लोड़ कोई ना,
किवे खोला मैं अंखियां,
अंखियां दे विच मेरा यार वसदा,
किवे खोला मैं अंखियां।
शाम सुन्दर मेरे कीता ए कमाल वे,
बन गई मैं बादशाह,
हो गयी मालोंमाल वे,
मैनु होर खजानया दी लोड़ कोई ना,
किवे खोला में अंखियां,
अंखियां दे विच मेरा यार वसदा,
किवे खोला मैं अंखियां।
श्याम सुन्दर मेरी चुनरी रंगायी,
अपने नाम वाली चादर है पाई,
जरिया किनारिया दी लोड कोई ना,
किवे खोला में अंखियां,
अंखियां दे विच मेरा यार वसदा,
किवे खोला मैं अंखियां।
इक दिन राती श्याम,
सपने च आ गया,
सुआ सुआ रंग मेरी,
मांग विच पा गया,
मैं बन गयी सुहागन,
मेरिया हसन अंखियां,
किवे खोला में अंखियां,
अंखियां दे विच मेरा यार वसदा,
किवे खोला मैं अंखियां।
सुत्ती उठी मैनू लोग ने पुछदे,
लबया ए श्याम कित्थो,
एवी जरा दस वे,
वृंदावन जाके सोना श्याम लबया,
किवे खोला में अंखियां,
अंखियां दे विच मेरा यार वसदा,
किवे खोला मैं अंखियां।
SSDN :- अँखियाँ दे विच मेरा यार वसदा | krishna bhajan | Radha Krishna bhajan | Anandpur bhajan