मधुराष्टकम महत्त्व अर्थ और लाभ

मधुराष्टकम महत्त्व अर्थ और लाभ

 
मधुराष्टकम महत्त्व अर्थ और लाभ

अधरं मधुरं वदनं मधुरं,
नयनं मधुरं हसितं मधुरं,
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं,
मधुराधिपते रखिलं मधुरं।

वचनं मधुरं चरितं मधुरं,
वसनं मधुरं वलितं मधुरं,
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं,
मधुराधिपते रखिलं मधुरं।

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः,
पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ,
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं,
मधुराधिपते रखिलं मधुरं।
 
गीतं मधुरं पीतं मधुरं,
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं,
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं,
मधुराधिपते रखिलं मधुरं।

करणं मधुरं तरणं मधुरं,
हरणं मधुरं रमणं मधुरं,
वमितं मधुरं शमितं मधुरं,
मधुराधिपते रखिलं मधुरं।

गुञ्जा मधुरं माला मधुरं,
यमुना मधुरं वीची मधुरं,
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं,
मधुराधिपते रखिलं मधुरं।

गोपी मधुरं लीला मधुरं,
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं,
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं,
मधुराधिपते रखिलं मधुरं।

गोपा मधुरं गावो मधुरं,
यष्टिर्मधुरं सृष्टिर्मधुरं,
दलितं मधुरं फलितं मधुरं,
मधुराधिपते रखिलं मधुरं।


#Video मधुराष्टकम् | Madhurashtakam | #shipra Jaiswal SHRI KRISHNA BHAJAN |I#bhaktiaarambh New Bhakti 

VERY BEAUTIFUL SONG
singer :- Shipra jaiswal


श्रीकृष्णजी की हर लीला को मधुर है। उनके होंठ, चेहरा, नयन, हंसी—सब कुछ इतना प्यारा है कि मन उनके रंग में डूब जाता है। उनका चलना, बोलना, कपड़े, और हर गतिविधि में एक अनोखी मिठास है, जैसे कोई मधुर राग हर पल गूंज रहा हो। उनकी बांसुरी की धुन, उनके हाथ-पैर, उनका नृत्य और सखाओं संग दोस्ती—सब में वो मधुरता बस्ती है, जो मन को मोह लेती है। जैसे कोई मधुर संगीत सुनकर खो जाए, वैसे ही उनकी हर चाल मन को बांध लेती है। उनका गाना, खाना, सोना, और उनका रूप-तिलक, सब कुछ इतना सुंदर है कि आंखें उनसे हटती ही नहीं। उनकी हर क्रिया, चाहे वो दुख हरना हो या सुख देना, सब में मिठास भरी है। जैसे कोई फूलों की माला हर तरफ खुशबू बिखेरे, वैसे ही उनकी हर बात मन को सुकून देती है।
यमुना का जल, उसकी लहरें, कमल, गोपियां, और उनकी लीलाएं—सब कुछ श्रीकृष्णजी की मधुरता से रंगा है। गोप, गायें, उनकी छड़ी, और उनकी सृष्टि—हर चीज में वही मिठास झलकती है, जैसे सारा संसार उनके प्रेम का गीत गा रहा हो। यह मधुराष्टकम् केवल एक भजन या स्तुति नहीं है, बल्कि यह भगवान कृष्ण के संपूर्ण स्वरूप का एक दार्शनिक और आध्यात्मिक वर्णन है। इसे श्री वल्लभाचार्य ने लिखा था, जिन्होंने पुष्टिमार्ग (पुष्टि का मार्ग) की स्थापना की। इस स्तोत्र में, वे भगवान कृष्ण की हर एक वस्तु, हर एक क्रिया और उनके हर एक अंग को "मधुर" बताते हैं।
 
मधुराष्टकम् का नियमित जाप मन को शांत करता है। इस स्तोत्र में "मधुर" शब्द का बार-बार प्रयोग मन में सकारात्मकता भरता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। यह एक प्रकार का ध्यान है जो मन को एक बिंदु पर केंद्रित करने में मदद करता है, जिससे एकाग्रता बढ़ती है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की दिव्यता और उनके हर पहलू की मधुरता का वर्णन करता है। इसका जाप करने से भक्त के हृदय में भगवान के प्रति निस्वार्थ प्रेम और समर्पण की भावना गहरी होती है। जब हम भगवान के गुणों का स्मरण करते हैं, तो हम उनके साथ एक गहरा भावनात्मक संबंध स्थापित करते हैं। 
 
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