बूझत श्याम कौन तू गौरी लिरिक्स Bujhat Shyam Koun Tu Gouri Lyrics

बूझत श्याम कौन तू गौरी लिरिक्स Bujhat Shyam Koun Tu Gouri Lyrics



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बूझत श्याम कौन तू गौरी,
कहां रहती काकी है बेटी,
देखी नहीं कहूं बृज खोरी।

काहे कों हम ब्रजतन आवतिं,
खेलति रहहिं आपनी पौरी।

सुनत रहति स्त्रवननि नंद ढोटा,
करत फिरत माखन दधि चोरी।

तुम्हरो कहा चोरि हम लैहैं,
खेलन चलौ संग मिलि जोरी।

सूरदास प्रभु रसिक सिरोमनि,
बातनि भुरइ राधिका भोरी।

भावार्थ:
श्री राधा के प्रथम मिलन का,
इस पद में वर्णन किया है सूरदास जी ने।
श्रीकृष्ण ने पूछा कि हे गोरी,
तुम कौन हो, कहां रहती हो,
किसकी पुत्री हो,
हमने पहले कभी बृज की,
इन गलियों में तुम्हें नहीं देखा।
तुम हमारे इस बृज में क्यों चली आई,
अपने ही घर के आंगन में खेलती रहतीं।
इतना सुनकर राधा बोली,
मैं सुना करती थी,
कि नंदजी का लड़का माखन की,
चोरी करता फिरता है।
तब कृष्ण बोले लेकिन तुम्हारा,
हम क्या चुरा लेंगे।
अच्छा हम मिलजुलकर खेलते हैं।
सूरदास कहते हैं कि इस प्रकार,
रसिक कृष्ण ने बातों ही बातों में,
भोलीभाली राधा को भरमा दिया।


।। बूझत श्याम कौन तू गोरी ।। राग तोड़ी ।। श्री इंद्रेशजी ।। तलहटी ।। श्री सूरदासजी पद ।। Bujhat Shyam

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