(अंतरा) चुनरी को रंग लाल चटक है, तारा भी चिपकाया माँ, बढ़िया पोत मंगाया जामे, गोटा भी लगवाया माँ, थे तो ओढ़ दिखाओ मैया, थारो मानूंगा उपकार। ल्याया थारी चुनरी, करियो माँ स्वीकार।।
बस इतनी सी कृपा कर द्यो, सेवा में लग जावा माँ, म्हाने तो इ लायक कर द्यो, चुनरी रोज चढ़ावा माँ, बस टाबरिया पर बरसे, माँ हरदम थारो प्यार। ल्याया थारी चुनरी, करियो माँ स्वीकार।।
एक हाथ से भक्ति दीजो, एक हाथ से शक्ति माँ, एक हाथ से धन-दौलत और, एक हाथ से मुक्ति माँ, थे तो हर हाथा से दीजो, माँ थारा हाथ हजार। ल्याया थारी चुनरी, करियो माँ स्वीकार।।
गर थे थारो बेटो समझो, सेवा बताती रहिजो माँ, बनवारी गर लायक समझो, काम उड़ाती रहिजो माँ, थारो अमरचंद बैठ्यो है, थारी सेवा में तैयार। ल्याया थारी चुनरी, करियो माँ स्वीकार।।