लग रही आस करूं लिरिक्स Lag Rahi Aas Karu Lyrics
लग रही आस करूं,
भजन करूं और ध्यान धरूं,
छैया कदमन की मैं,
सदा करूं सत्संग मण्डली,
सन्त जनन की मैं।
पलकन डगर बुहार,
रेणुका ब्रज गलियन की मैं,
अभिलाषी प्यासी रहें,
अंखियां हरि दरसन की मैं।
भूख लगै घरे घर तै,
भिक्षा करूं द्विजन की मैं,
गंगाजल में धोय भेट धरूं,
नन्दनन्दन की मैं।
शीतल प्रसादहि पाय करूँ,
शुद्धी निज मन की मैं,
सेवा में मैं सदा रहूँ नित,
ब्रज भक्तन की मैं।
ब्रज तज इच्छा करूँ,
नहीं बैकुण्ठ भवन की मैं,
घासीराम शरण पहुँचे,
गिरिराजधरन की मैं।
भजन करूं और ध्यान धरूं,
छैया कदमन की मैं,
सदा करूं सत्संग मण्डली,
सन्त जनन की मैं।
पलकन डगर बुहार,
रेणुका ब्रज गलियन की मैं,
अभिलाषी प्यासी रहें,
अंखियां हरि दरसन की मैं।
भूख लगै घरे घर तै,
भिक्षा करूं द्विजन की मैं,
गंगाजल में धोय भेट धरूं,
नन्दनन्दन की मैं।
शीतल प्रसादहि पाय करूँ,
शुद्धी निज मन की मैं,
सेवा में मैं सदा रहूँ नित,
ब्रज भक्तन की मैं।
ब्रज तज इच्छा करूँ,
नहीं बैकुण्ठ भवन की मैं,
घासीराम शरण पहुँचे,
गिरिराजधरन की मैं।
लग रही आस करूँ ब्रजवास सम्पूर्ण पद ।। तलहटी ।। घासी राम जी ।। श्री कृष्ण चन्द्र जी ।। Talhati
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