नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में भजन

नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में भजन

(मुखड़ा)
नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में,
देवे आशीष भगवान माँ के मंदिर में,
नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में।।

(अंतरा 1)
माता जानकी की भी लेवे बलैया,
भक्त चढ़ावे देखो नारियल-रुपैया।
अंजनी देवे वरदान माँ के मंदिर में,
नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में।।

(अंतरा 2)
लाल लंगोटा पहने, लाल चुनरिया,
होके मगन देखो नाचे लांगूरिया।
देवता हुए मेहरबान माँ के मंदिर में,
नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में।।

(अंतरा 3)
रिद्धि-सिद्धि आ ढोलक बजावे,
ताली बजावे, हनुमान को नचावे।
मस्त मलंग दरबान माँ के मंदिर में,
नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में।।

(अंतरा 4)
माथे ऊपर लागे तिलक सुहाना,
‘बैरागी’ प्यारे लागे वीर हनुमाना।
भक्तों का करे कल्याण माँ के मंदिर में,
नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में।।

(पुनरावृत्ति / समापन)
नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में,
देवे आशीष भगवान माँ के मंदिर में,
नाचे वीर हनुमान माँ के मंदिर में।।


Koi Kahe Jagdambe Koi Kahe Jwala Nache Veer Hanuman Maa Ke Mandir Me

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माँ के मंदिर में हनुमान जी का नृत्य और भक्ति का उत्सव एक ऐसी आध्यात्मिक उमंग का प्रतीक है, जो हर भक्त के हृदय को प्रेम और श्रद्धा से भर देता है। यह वह पवित्र स्थान है जहाँ हनुमान जी, माँ के परम भक्त के रूप में, अपनी लाल चुनरिया और लंगोटे में मगन होकर नाचते हैं, मानो माँ की महिमा और उनके प्रति अपनी निष्ठा का उत्सव मना रहे हों। भक्तों का माँ और हनुमान जी के प्रति प्रेम उनके द्वारा चढ़ाए गए नारियल और भेंटों में प्रकट होता है, और हनुमान जी की कृपा से हर भक्त को आशीर्वाद और सुख की प्राप्ति होती है। यह भक्ति का वह स्वरूप है, जो माँ और उनके वीर भक्त हनुमान के प्रति पूर्ण समर्पण को दर्शाता है, और भक्तों को यह विश्वास दिलाता है कि उनकी हर पुकार सुनी जाएगी।

हनुमान जी का यह नृत्य केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि भक्तों के लिए एक प्रेरणा है, जो उन्हें माँ के चरणों में अपनी भक्ति को और गहरा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। रिद्धि-सिद्धि के साथ ढोलक की थाप और तालियों की गूंज माँ के मंदिर को एक आनंदमय तीर्थ में बदल देती है, जहाँ हनुमान जी मस्त मलंग बनकर भक्तों के कल्याण के लिए उपस्थित रहते हैं। उनका तिलक सुहाना और भक्ति में डूबा हुआ रूप भक्तों के मन को मोह लेता है, और माँ के दरबार में उनकी उपस्थिति हर भक्त के जीवन को शक्ति, साहस और कल्याण से भर देती है। यह वह आध्यात्मिक माहौल है, जहाँ माँ और हनुमान जी की संयुक्त कृपा भक्तों के लिए एक अटूट सहारा बनती है, और उन्हें हर संकट से पार होने की प्रेरणा देती है।
 
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना के लिए नौ दिनों तक मनाया जाता है। यह पर्व शक्ति, शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है, जिसमें भक्त देवी के विभिन्न रूपों—जैसे काली, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, आदि—की पूजा करते हैं। नवरात्रि का अर्थ है 'नौ रातें', और यह समय मन की तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण से मुक्ति और सतोगुण की प्राप्ति का अवसर होता है। इस दौरान उपवास, भजन-कीर्तन, गरबा-डांडिया जैसे सांस्कृतिक आयोजन होते हैं जो सामाजिक एकता और सद्भावना को बढ़ावा देते हैं। नवरात्रि में माँ दुर्गा की कृपा से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और जीवन की समृद्धि प्राप्त होती है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है, जो हमें अपने अंदर की नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा से भरने का संदेश देता है। नवरात्रि के नियमों का पालन और श्रद्धा से की गई पूजा से जीवन में सुख-शांति और सफलता आती है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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