चुनरिया मात भवानी की मैंने जयपुर से मंगवाई
(मुखड़ा)
चुनरिया मात भवानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई,
जयपुर से रंगवाई री,
रंगरेजे से रंगवाई,
चुनरिया मात भवानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई।।
(अंतरा)
लाल जमी, केसरिया धारी,
ऊपर गोटा जड़ी किनारी,
क्या शोभा प्रेम निशानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई,
चुनरिया मात भवानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई।।
भाव के बूंटे न्यारे-न्यारे,
निर्मल मन के नक्शे डारे,
है चमक ज्योत नूरानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई,
चुनरिया मात भवानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई।।
ब्रह्म, वेद, नारद की वीणा,
श्याम की बंशी ने जादू कीन्हा,
क्या छटा रामधन पाणी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई,
चुनरिया मात भवानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई।।
चमके सूरज, चाँद, सितारे,
‘किशन’, ‘विमल’ संग भक्त सारे,
निरखे जग कल्याणी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई,
चुनरिया मात भवानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
चुनरिया मात भवानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई,
जयपुर से रंगवाई री,
रंगरेजे से रंगवाई,
चुनरिया मात भवानी की,
मैंने जयपुर से मंगवाई।।
भजन हो तो ऐसा दिल खुश हो जायेगा - चुनरिया मात भवानी की- चैत्र नवरात्रि
Bhajan :चुनरिया मात भवानी की
Singer Vimal Dixit "Pagal"
Music : Harish Mudgal
Video : Vikash Saxena
Lyrics : Kishan Brijwasi