जीवन की सार्थकता भजन लिरिक्स Jivan Ki Sarthakata Bhajan Lyrics
जिन्ह हरिकथा सुनी नहिं काना,
श्रवन रंध्र अहिभवन समाना।
नयनन्हि संत दरस नहिं देखा,
लोचन मोरपंख कर लेखा।
ते सिर कटु तुंबरि समतूला,
जे न नमत हरि गुर पद मूला।
जिन्ह हरिभगति हृदयँ नहिं आनी,
जीवत सव समान तेइ प्रानी।
जो नहिं करई राम गुन गाना,
जीह सो दादुर जीह समाना।
कुलिस कठोर निठुर सोई छाती,
सुनि हरिचरित न जो हरषाती।
सोऽहमस्मि इति बृति अखंडा,
दीप सिखा सोइ परम प्रचंडा।
आतम अनुभव सुख सुप्रकासा,
तब भव मूल भेद भ्रम नासा।
श्रवन रंध्र अहिभवन समाना।
नयनन्हि संत दरस नहिं देखा,
लोचन मोरपंख कर लेखा।
ते सिर कटु तुंबरि समतूला,
जे न नमत हरि गुर पद मूला।
जिन्ह हरिभगति हृदयँ नहिं आनी,
जीवत सव समान तेइ प्रानी।
जो नहिं करई राम गुन गाना,
जीह सो दादुर जीह समाना।
कुलिस कठोर निठुर सोई छाती,
सुनि हरिचरित न जो हरषाती।
सोऽहमस्मि इति बृति अखंडा,
दीप सिखा सोइ परम प्रचंडा।
आतम अनुभव सुख सुप्रकासा,
तब भव मूल भेद भ्रम नासा।
जीवन है दो दिन का, जिंदगी भर का झमेला रहेगा-भजन - पूज्य श्री राजेश्वरानन्द जी महाराज
ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।