कबीर रस्सी पाँव में कहँ सोवै सुख चैन लिरिक्स Kabir Rassi Panv Ki Meaning

कबीर रस्सी पाँव में कहँ सोवै सुख चैन लिरिक्स Kabir Rassi Panv Ki Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit.

कबीर रस्सी पाँव में, कहँ सोवै सुख चैन |
साँस नगारा कुंच का, है कोइ राखै फेरी ||

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

 
कबीर रस्सी पाँव में कहँ सोवै सुख चैन लिरिक्स Kabir Rassi Panv Ki Meaning

कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की तुम्हारे पांवों में रस्सी पड़ी है, काल की रस्सी पांवों में पड़ी है तुम कहाँ सुख चैन की नींद में सो रहे हो ? साँसों का नगारा आज बज रहा है लेकिन कब तक अंत समय में तुमको जाना है, पुनः तुमको कोई नहीं रखने वाला है। कबीर साहेब कहते हैं की काल की रस्सी तुम्हारे पांवों में जकड़ी हुई है, तुम काल के हाथों एक रोज समाप्त हो जाने हो, साँसों का नगाड़ा एक रोज बंद हो जाना है तो फिर तुम्हे कौन रख सकता है. इस दोहे में कबीर दास जी संसार के माया मोह के बारे में बता रहे हैं। वे कहते हैं कि संसार में जितनी भी सुख सुविधाएं हों, वे सब क्षणिक हैं। जैसे रस्सी में बंधा हुआ जानवर, चाहे कितना भी आराम से सोए, उसे तो चलना ही पड़ेगा। इसी तरह, चाहे हम इस संसार में कितना भी ऐश्वर्य भोग लें, अंत में हमें तो यहां से जाना ही होगा। कोई भी हमें यहां रोककर नहीं रख सकता।
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