कैसे बैठा रे आलस में मुख से राम
कैसे बैठा रे आलस में,
मुख से राम कहो ना जाये,
भौर भये मल मल मुख धोये,
दिन चढ़ते ही उदर टटोये,
बातन बातन सब दिन खायो,
साँझ भई पलना में सोए,
सोवत सोवत उम्र बीत गयी,
काल शीश मंडराए रे,
तोसे मुख से राम कहो ना जाये.
लख चौरासी में भटक्यो,
बड़े भाग्य मानुष तन पायो,
अबकी भूल ना जाना भाई,
लुट ना जाये फिर ये कमाई,
राधेश्याम समय फिर ऐसो,
बार बार नहीं आये रे,
तोसे मुख से राम कहो ना जाये.
कैसे बैठा रे आलस में मुख्य से राम कह्यो न जाये।
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