लगा रहै सतज्ञान सो सबही बन्धन तोड़ हिंदी मीनिंग Laga Rahe Satgyan So Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
लगा रहै सतज्ञान सो सबही बन्धन तोड़ |
कहैं कबीर वा दास को, काल रहै हथजोड़ ||
Laga Rahe Satgyan So, Sabahi Bandhn Tod,
Kahe Kabir Va Daas Ko, Kaal Rahe Hath Jod
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की जो साधक समस्त विषय वासनाओं को छोड़कर सत्यज्ञान में लगा रहता है, सांसारिक बंधनों को कोई महत्त्व नहीं देता है। कबीर साहेब कहते हैं की उस दास के समक्ष तो काल भी अपने हाथ जोड़ कर खड़ा रहता है। कबीर साहेब ने इस दोहे में कहा है की जो सत्यज्ञान में अपना समय पूर्ण लगाता है, सदा ही सत्य के ज्ञान में रत रहता है उस दास के समक्ष काल भी हाथ जोड़ के खड़ा रहता है. जो साधक सभी विषय बंधनों को तोड़कर सदैव सत्य स्वरुप ज्ञान की स्तिति में लगा रहे | गुरु कबीर कहते हैं कि उस गुरु - भक्त के सामने काल भी हाथ जोड़कर सिर झुकायेगा, आशय है की वह काल के प्रभाव से मुक्त हो जाएगा.
दास कहावन कठिन है, मैं दासन का दास |
अब तो ऐसा होय रहूँ, पाँव तले कि घास ||
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की दास कहलवाना अत्यंत ही कठिन कार्य है। ऐसे में कबीर साहेब तो दासों के भी दास हैं। अब तो साहेब का दास्य भाव इतना प्रबल हो गया है की वे तो अब पांवों की घास के जैसे हो गए हैं।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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