ज्योत जले रे दिन रात माई की मडुलिया में
(मुखड़ा)
ज्योत जले रे दिन-रात,
माई की मडुलिया में।।
(अंतरा)
जग जननी, दुःख हरनी माता,
सबकी सुने फरियाद,
माई की मडुलिया में।।
जूही, चंपा, मोगरा फूले,
चमेली खिले आधी रात,
माई की मडुलिया में।।
धूप, कपूर की आरती होवे,
हलवा को चढ़े प्रसाद,
माई की मडुलिया में।।
हनुमत नाचे, भैरव नाचे,
मैया नाचे साथ,
माई की मडुलिया में।।
माई के पदम गुणगान करो जी,
पूरी होगी मुराद,
माई की मडुलिया में।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
ज्योत जले रे दिन-रात,
माई की मडुलिया में।।
jyot jle re din rat