मानव तू है मुसाफिर दुनिया है धर्मशाला लिरिक्स Manav Tu Hai Musafir Lyrics
मानव तू है मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला।
ये रैन है बसेरा,
है किराए का ये डेरा,
उसमे फंसा है फेरा,
ये तेरा है ये मेरा,
शीशे को मान बैठा,
तू मोतियों की माला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला,
मानव तू है मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला।
जन्मों का पुण्य संचित,
नर देह तूने पाया,
कंचन और कामिनी में,
इसे व्यर्थ ही गवाया,
कौड़ी के मौल तूने,
हीरे को बेच डाला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला,
मानव तू है मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला।
नश्वर है तन का ढाँचा,
बालू की भीत कांचा,
ऋषियों ने परखा जाँचा,
बस राम नाम साँचा,
चख के तू पी शिकारी,
सिया राम नाम प्याला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला,
मानव तू है मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला।
मानव तू है मुसाफ़िर,
दुनियां है धर्मशाला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला।
दुनिया है धर्मशाला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला।
ये रैन है बसेरा,
है किराए का ये डेरा,
उसमे फंसा है फेरा,
ये तेरा है ये मेरा,
शीशे को मान बैठा,
तू मोतियों की माला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला,
मानव तू है मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला।
जन्मों का पुण्य संचित,
नर देह तूने पाया,
कंचन और कामिनी में,
इसे व्यर्थ ही गवाया,
कौड़ी के मौल तूने,
हीरे को बेच डाला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला,
मानव तू है मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला।
नश्वर है तन का ढाँचा,
बालू की भीत कांचा,
ऋषियों ने परखा जाँचा,
बस राम नाम साँचा,
चख के तू पी शिकारी,
सिया राम नाम प्याला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला,
मानव तू है मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला।
मानव तू है मुसाफ़िर,
दुनियां है धर्मशाला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला।
|| भजन || मानव तू है मुसाफ़िर - PUJYA RAJAN JEE #pujyarajanjee #bhajan
"Maanav tu hai musafir,
Duniya hai dharmshala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala.
Ye rain hai basera,
Hai kiraaye ka ye dera,
Usme fansa hai fera,
Ye tera hai ye mera,
Shishe ko maan baitha,
Tu motiyon ki mala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala,
Maanav tu hai musafir,
Duniya hai dharmshala.
Janmon ka punya sanchit,
Nar deh tune paaya,
Kanchan aur kaminee mein,
Ise vyarth hi gawaaya,
Kaudi ke maul tune,
Heere ko bech daala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala,
Maanav tu hai musafir,
Duniya hai dharmshala.
Nashwar hai tan ka dhaancha,
Baalu ki bheet kaancha,
Rishiyon ne parikha jaancha,
Bas Ram naam saancha,
Chakh ke tu pee shikaari,
Siya Ram naam pyaala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala,
Maanav tu hai musafir,
Duniya hai dharmshala.
Maanav tu hai musafir,
Duniya hai dharmshala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala."
Duniya hai dharmshala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala.
Ye rain hai basera,
Hai kiraaye ka ye dera,
Usme fansa hai fera,
Ye tera hai ye mera,
Shishe ko maan baitha,
Tu motiyon ki mala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala,
Maanav tu hai musafir,
Duniya hai dharmshala.
Janmon ka punya sanchit,
Nar deh tune paaya,
Kanchan aur kaminee mein,
Ise vyarth hi gawaaya,
Kaudi ke maul tune,
Heere ko bech daala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala,
Maanav tu hai musafir,
Duniya hai dharmshala.
Nashwar hai tan ka dhaancha,
Baalu ki bheet kaancha,
Rishiyon ne parikha jaancha,
Bas Ram naam saancha,
Chakh ke tu pee shikaari,
Siya Ram naam pyaala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala,
Maanav tu hai musafir,
Duniya hai dharmshala.
Maanav tu hai musafir,
Duniya hai dharmshala,
Sansar kya hai sapna,
Wo bhi ajab nirala."
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