रे मन प्रति सांस पुकार यही भजन लिरिक्स Re Man Prati Sans Pukar Lyrics

रे मन प्रति सांस पुकार यही भजन लिरिक्स Re Man Prati Sans Pukar Lyrics



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रे मन प्रति सांस पुकार यही,
जय राम हरे घनश्याम हरे,
तन नौका की पतवार यही,
जय राम हरे घनश्याम हरे।

जग में व्यापक आधार यही,
जग में लेता अवतार वही,
है निराकार साकार यही,
जय राम हरे घनश्याम हरे।

ध्रुव को ध्रुव-पद दातार यही,
प्रह्लाद गले का हार यही,
नारद वीणा का तार यही,
जय राम हरे घनश्याम हरे।

सब सुकृतो का आगार यही,
गंगा यमुना की धार यही,
श्री रामेश्वर हरिद्वार यही,
जय राम हरे घनश्याम हरे।

सज्जन का साहूकार यही,
प्रेमीजन का व्यापार यही,
सुख बिन्दू सुधा का सार यही,
जय राम हरे घनश्याम हरे।

रे मन प्रति साँस पुकार यही,
जय राम हरे घनश्याम हरे,
तन नौका की पतवार यही,
जय राम हरे घनश्याम हरे।
 


बिंदु जी रचित ।। सबसे सुंदर रचना ।।जय राम हरे घनश्याम हरे ।। स्वर रमेश दाधीच।।

"Re man prati saans pukaar yahi,
Jai Ram hare Ghanashyam hare,
Tan nauka ki patwaar yahi,
Jai Ram hare Ghanashyam hare.

Jag mein vyaapak aadhaar yahi,
Jag mein leta avataar wahi,
Hai niraakaar saakaar yahi,
Jai Ram hare Ghanashyam hare.

Dhruv ko dhruv-pad daataar yahi,
Prahlad gale ka haar yahi,
Narad veena ka taar yahi,
Jai Ram hare Ghanashyam hare.

Sab sukriton ka aagar yahi,
Ganga Yamuna ki dhaar yahi,
Shri Rameshwar Haridwar yahi,
Jai Ram hare Ghanashyam hare.

Sajjan ka sahukar yahi,
Premijan ka vyaapaar yahi,
Sukh bindu sudha ka saar yahi,
Jai Ram hare Ghanashyam hare.

Re man prati saans pukaar yahi,
Jai Ram hare Ghanashyam hare,
Tan nauka ki patwaar yahi,
Jai Ram hare Ghanashyam hare."

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