तेरे चरणों का मैं प्रेमी हूँ एक नज़र करदे
(मुखड़ा)
तेरे चरणों का मैं प्रेमी हूँ,
एक नज़र कर दे,
गीत में भाव हो, भक्ति हो,
वो असर भर दे।।
(अंतरा)
हीरे, मोती, मणि, माणिक,
न हमें चाहिए,
आलीशान बँगले, ये न महल,
भी नहीं चाहिए,
कंठ को गीतों की सरगम से,
तर बतर कर दे।।
मात हंसासिनी तू,
हमें झलक दे दे,
तुझको पाने की, मेरे मन में,
एक ललक दे दे,
मेरा ये गीत समर्पित है,
माँ, अमर कर दे।।
ताल हो, राग हो,
स्वर हो सुरीले गीतों में,
तेरा आव्हान हो, गुणगान हो,
माँ, गीतों में,
साधना पूरी हो, ‘राजेंद्र’ को,
ये वर दे दे।।
(पुनरावृति)
तेरे चरणों का मैं प्रेमी हूँ,
एक नज़र कर दे,
गीत में भाव हो, भक्ति हो,
वो असर भर दे।।
तेरे चारणों का में प्रेमी हूँ, एक नज़र करदो.by rajendra prasad soni
Singer,-rajendra prasad soni
Lyricist-rajendra prasad soni
Music by-ranendra prasad soni