फूलों में सज रहे हैं श्री वृन्दावन बिहारी
फूलों में सज रहे हैं,
श्री वृन्दावन बिहारी,
और संग में सज रही है,
वृषभानु की दुलारी।
टेढ़ा सा मुकुट सर पर,
रखा है किस अदा से,
करुणा बरस रही है,
करुणा भरी निगाह से,
बिन मोल बिक गयी हूं,
जब से छबि निहारी।
बैंयां गले में डाले,
जब दोनों मुस्कुराते,
सब को ही प्यारे लगते,
सब के ही मन को भाते,
इन दोनों पे मैं सदके,
इन दोनों पे मैं वारी।
श्रृंगार तेरा प्यारे,
शोभा कहूं क्या उसकी,
इत पे गुलाबी पटका,
उत पे गुलाबी साड़ी।
नीलम से सोहे मोहन,
स्वर्णिम सी सोहे राधा,
इत नन्द का है छोरा,
उत भानु की दुलारी।
चुन चुन के कलियां,
जिसने बंगला तेरा बनाया,
दिव्या आभूषणों से,
जिसने तुझे सजाया,
उन हाथों पे मैं सदके,
उन हाथों पे मैं वारी।
फूलों में सज रहे है श्री वृंदावन बिहारी | Phoolon Mein Sajj Rahe Hain | Krishna Bhajan 2024
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