रात गँवाई सोयकर दिवस गँवाये खाय हिंदी मीनिंग Raat Gavai Soykar Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
रात गँवाई सोयेकर, दिवस गँवाये खाय |हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय ||
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
हिंदी अर्थ : कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की व्यक्ति सांसारिक क्रियाओं में ही अपने जीवन को बर्बाद कर देता है। दिवस में वह खाता पीता है और रात्री में सो जाता है। ऐसे ही वह अपने जीवन को व्यर्थ में गँवा देता है जो की अनमोल होता है। वह हीरा रूपी अनमोल जीवन को कौड़ियों के भाव में बर्बाद कर देता है।
कबीर दास जी इस दोहे में मनुष्य के जीवन के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि मनुष्य का जीवन एक अनमोल रत्न है, लेकिन बहुत से लोग इस जीवन को व्यर्थ में गँवा देते हैं। वे रात को सोते-सोते समय गँवा देते हैं, और दिन को खाते-पीते समय समय गँवा देते हैं।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |