दत्तात्रय धुन गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर

दत्तात्रय धुन गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर

गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।।

अनुसूया-अत्रि सुकुमारा, दत्त दयाघन दयावरा।
पद्म-कमंडलु-गदा-धारा, त्रिशूल शोभे कर में प्यारा।।

षड्वीत आयुध धारी प्यारा, पूर्णानंद अवतारा।
सुभस्म रुद्राक्ष भूषणा, भवभय-दुख निवारणा।।

काशायांबर वसन धारा, श्री मेघश्याम सुंदर नयना।
अवधूत गिरिवरधारी, तेजस्वी दीप्ति अपार भरा।।

षड्भुज मूर्ति वीरजित, विश्वरूप हे विश्वंभरा।
भक्तप्रिय वज्रपंजर, दीनों का उद्धार करा।।

दत्तात्रेय अवतारा, श्रीपाद श्रीनरसिंह वरा।
नित्य निरंजन ओंकारा, कलियुग में ऐसा नारा।।

पिठापुर में जन्म लिया, सचिदानंद सुख का धारा।
शाश्वत पावन तपस्वी, वाणी देवे ओंकारा।।

कृष्णसंगमी दरुवर, नित्य बसे औदुंबर।
विप्ररूप विरक्ति सारा, प्रियजन पर परमेश्वरा।।

हे मुनिजन मानसचंद्र, तू गुरु धैर्यसागर।
जगदीश जग का उद्धारा, उद्धार करो हे गुरुवरा।।

करुणानिधि करुणाकारा, निर्गुण, निर्विकारा।
गुरुराया कल्याण करो, निज भक्ति दृढ़ करो।।

चिन्मय चित्तघन चिदंबर, अंतर्यामी अगोचर।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वरा, स्वामी समर्थ कृपा करा।।


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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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