राम नाम रटते रहो जब तक घट में प्राण

राम नाम रटते रहो जब तक घट में प्राण

 राम नाम रटते रहो,
जब तक घट में प्राण,
कभी तो दीनदयाल के, भनक पड़ेगी कान।।
(1)

नाम हरी का जप ले बंदे, फिर पीछे पछताएगा,
नाम हरी का जप ले बंदे, फिर पीछे पछताएगा।।

तू कहता है मेरी काया, काया का गुमान क्या?
चाँद सा सुंदर ये तन तेरा, मिट्टी में मिल जाएगा,
फिर पीछे पछताएगा।।
नाम हरी का जप ले बंदे, फिर पीछे पछताएगा।।
(2)

वहाँ से क्या तू लाया बंदे, यहाँ से क्या ले जाएगा?
मुट्ठी बाँध के आया बंदे, हाथ पसारे जाएगा,
फिर पीछे पछताएगा।।
नाम हरी का जप ले बंदे, फिर पीछे पछताएगा।।
(3)

बालपन में खेला-खाया, आई जवानी मस्त रहा,
बूढ़ेपन में रोग सताए, हाथ पड़े पछताएगा,
फिर पीछे पछताएगा।।
नाम हरी का जप ले बंदे, फिर पीछे पछताएगा।।
(4)

जपना है सो जप ले बंदे, आखिर तो मिट जाएगा,
कहत कबीर, सुनो भाई साधो, करनी का फल पाएगा,
करनी का फल पाएगा।।
नाम हरी का जप ले बंदे, फिर पीछे पछताएगा।।

फिर पीछे पछताएगा रे, फिर पीछे पछताएगा।।


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