राम नाम से तूने बन्दे क्यूं अपना मुख मोड़ा
राम नाम से तूने बन्दे,
क्यूं अपना मुख मोड़ा,
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा।
इक दिन बीता खेल कूद में,
इक दिन मौज में सोया,
देख बुढ़ापा आया तो,
क्यों पकड़ के लाठी रोया,
अब भी राम सुमिर ले,
नहीं तो पड़ेगा काल हथौड़ा,
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा।
अमृतमय है नाम हरि का,
तू अमृतमय बन जा,
मन में ज्योत जला ले,
तू बस हरी के रंग में रंग जा,
डोर जीवन की सौंप हरि को,
नहीं पड़ेगा फोड़ा,
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा।
क्या लाया क्या ले जायेगा,
क्या पाया क्या खोया,
वैसा ही फल मिले यहां,
जैसा तूने है बोया,
काल शीश पर बैठा,
इसने किसी को ना है छोड़ा,
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा।
मन के कहे जो चलते हैं,
वो दुख ही दुख हैं पाते,
माया के वश में जो है,
वो घोर नरक में जाते,
जो भी अजर अमर बनते थे,
उनका भी भ्रम तोड़ा,
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा।
राम नाम से तूने बन्दे,
क्यूं अपना मुख मोड़ा,
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा।
kumar vishu -Ram Naam Se Tune Bande