भगतां बिन गद्दी सुन्नी गद्दी बिना भगत हों सुन्ने

भगतां बिन गद्दी सुन्नी गद्दी बिना भगत हों सुन्ने


भगतान बिन गद्दी सुन्नी,
गद्दी बिना भगत हों सुन्ने,
लागै ना रौनक दरबार में।

गद्दी के लायक वो सै,
तप्या जो भजन में,
मोह, माया, लालच जिसके
कती ना मन में।
गद्दी को शीश झुकाता,
गुरुवर फेर लाज बचाता,
ऊँची या शान रहै संसार में।

गद्दी की शोभा बढ़ ज्या,
बैठा भगत हो,
मान-सम्मान भगत का,
गद्दी इज्जत हो।
आसन और पगड़ी सिर की,
होती बख्शीश हर की,
मिलती है सत्य के बाजार में।

सच्चे भगत सदा,
करया करें नेकी,
विनती करें परमपिता तै,
सबके भले की।
करके सब दूर बुराई,
मुख पर राखै सच्चाई,
पूर्ण हों सब ढालां संस्कार में।

सुन्ना हो दीवा जैसे,
घी-बत्ती, तेल बिना,
सुन्नी तेरी कलम गजेन्द्र,
शब्दों के मेल बिना।
अन्न बिना चालै ना चक्की,
लय-सुर बिना सजै ना लक्की,
गाना सजैगा सुर के तार में।

भगतान बिन गद्दी सुन्नी,
गद्दी बिना भगत हों सुन्ने,
लागै ना रौनक दरबार में।


भगताँ बिन गद्दी सुन्नी | New Bhajan Satguru Dev Pandit Murari Lal Bhajan | Lucky Picholia

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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