सच्चे बादशाह मेरी बक्श खता लिरिक्स
सच्चे बादशाह,
मेरी बक्श खता ,
मैं निमाना,
तू बेअंत तेरा,
अंत न जाना,
सचे बादशाह।
दीन छोड़दुनी संग लागा,
तेरा नाम ना जपया अभागा,
कोई गुण न पल्ले,
नरक न मेनू झले,
पाप कमाना तू बेअंत,
तेरा अंत ना जाना,
सच्चे बादशाह,
मेरी बक्श खता।
दर तेरे सवाली,
जो आवे,
मुहो मंगियां,
मुरादा ओह पावे,
मैं वी आया शरनी,
मेनू लाओ चरनी,
विरद पछाना तू बेअंत,
तेरा अंत ना जाना,
सच्चे बादशाह,
मेरी बक्श खता।
तर गये पापी नाम रट के,
कटी चौरासी नाम जप के,
विषर नाही दातार,
बक्शो हरी जी दा दरबार,
दर्श दिखाना तू बेअंत,
तेरा अंत न जाना,
सच्चे बादशाह,
मेरी बक्श खता।
तू सरव कला दा ग्याता,
भेद तेरा किसे न जाता,
तू मेहरबान है,
तू दयावान है,
तू सयाना तू बेअंत,
तेरा अंत ना जाना,
सच्चे बादशाह,
मेरी बक्श खता।
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