सखी उठ के बनेरे उत्ते तक नी

सखी उठ के बनेरे उत्ते तक नी


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सखी उठ के बनेरे उत्ते तक नी,
गली दे विचो कोन लंगया,
हारा वाले दा पेंदा मैनु शक नी,
गली दे विचो कोन लंगया।

मोर मुकुट मत्थे,
तिलक तिलक विराजे,
गल बैजंती माला साजे,
ओदे मुखड़े ते काली काली लट नी,
गली दे विचो कोन लंगया।

कानों में कुण्डल हाथों में मुरली,
इनकी तो है ये दुनिया दीवानी,
ओदे मोड़े ते पिला पिला पट नी,
गली दे विचो कोन लंगया।

वृन्दावन विच गउआ चरावे,
लूट लूट दही ओता माखन खावे,
मेरा सावरा सलोना नटखट नी,
गली दे विचो कोन लंगया।

सब सखिया नाल रास रचावे,
रास रचावे नाले चीर चुरावे,
कदे यमुना ते कदे पनघट नी,
गली दे विचो कोन लंगया,
सखी उठ के बनेरे उत्ते तक नी,
गली दे विचो कोन लंगया।

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