श्री प्राज्ञ चालीसा Shri Pragya Chalisa Bhajan Lyrics

श्री प्राज्ञ चालीसा Shri Pragya Chalisa Bhajan Lyrics



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मंगल भवन अमंगल हारी,
पन्ना गुरूवर महाउपकारी।

दीन दयाल कृपा बरसाओ,
भटकी नैया पार लगाओ।

तुलसा नन्दन तुम कहलाये,
बालूराम घर आनन्द छाये।

मालीकुल उजियारे प्यारे,
कीतलसर के भाग्य सवारे।

भादव शुक्ला तृतीया आई,
घर घर में थी बटी बधाई।

देख शिशु की छटा निराली,
सब जन बोले महापुण्यशाली।

योग संयोग थावला आये,
मोती गुरू चौमासा पाये।

पन्ना को लख गुरू हरसाये,
जिनशासन को यह चमकाये।

पन्ना गुरूमोती संग जाये,
बालूराम जी बहु समझाये।

पर पन्ना को गुरू ही भाये,
तब संयम का पत्र दिलाये।

कालू आनन्दपुर में आये,
गुरू संयम का पाठ पढ़ाये।

छह माह भी बीत न पाये,
मोती गुरूवर स्वर्ग सिधाये।

गुरू वियोग से अति दुख पाये,
धूल गुरू सीने से लगाये।

गज गुरूवर का साथ जो पाया,
आगम, वेद का पाठ पठाया।

न्याय तर्क गीता पढ़वाये,
कुरान षड्दर्शन समझावे।

ज्योतिष रमल विद्या सिखलाई,
संस्कृत प्राकृत मन को भाई।

देख शिष्य की सुन्दर प्रतिभा,
और चेहरे की सुन्दर आभा।

गुरूवर मन में हर्ष मनाये,
ऐसा शिष्य पुण्य से पाये।

महाप्रतापी महाप्रभावी,
पन्ना गुरूवर महातेजस्वी।

करूणा सागर परम कृपालु,
संघ हितैषी दीन दयालु।

जो भी शरण तुम्हारी आये,
दुख द्वन्द्वों से मुक्ति पाये।

डाकू मोडसिंह भी आये,
गुरूवर से सद्बोध को पाये।

सिंह झुका चरणों में आकर,
तेजस्वी तव दर्शन पाकर।

भूत प्रेत सब दूर नशाये,
जब गुरूवर की शरण में आये।
 
कन्याशालाए खुलवाई,
कन्या पढ़े भावना आई।

नानक छात्रालय खुलवाया,
दीन छात्र पर ध्यान लगाया।

स्वधर्मी हित फण्ड बनवाया,
सुखी रहे शुभ भाव यह आया।

श्री स्वाध्यायी संघ बनाया,
शास्त्रों का सद्बोध कराया।

कटने जाती गायें पुकारे,
गुरूवर उनको मुक्त कराये।

बकरों को मरने से बचाये,
बलि प्रथा को बंद कराये।

राजाओं को बोध कराया,
हिंसा से उनको छुड़वाया।

जगह-जगह झगड़े निपटायें,
प्रेम प्यार के झरने बहाये।

साधु सम्मेलन करवाया,
जिनशासन का गौरव बढाया।

प्रान्तमंत्री गुरूवर कहलाये,
प्रवर्तक की पदवी पाये।

जहां जहां भी गुरूवर जाते,
धर्म ध्वजा गुरूवर फहराते।

कुरीति को दूर हटाते,
सन्मार्ग सबको दिखलाते।

महाप्राज्ञवर तुम कहलाये,
निर्मल बुद्धि सब मन भाये।

बिजयनगर में स्वर्ग सिधाये,
माघसुदी पंचमी दिन आये।

जय हो गुरूवर सदा तुम्हारी,
प्रिय भावना यही हमारी।

कृपा नाथ ऐसी बरसाना,
शाश्वत सुख का पथ दिखलाना।

दोहा
चालीसा गुरूदेव का पढ़े,
जो श्रद्धा लाय,
कर्म कटे झंझट मिटे,
मुक्ति पथ बढ़ जाय।

गुरूवर हर पल संग रहे,
सुबह शाम और रात,
दुख की रातें नष्ट हो,
उदित होय प्रभात।


श्री प्राज्ञ चालीसा । राष्ट्रसंत प्राज्ञवर श्री पन्नालाल जी महाराज सा. । Vaibhav Soni

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