कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना रे भाई
कोई लाख करे चतुराई,
कर्म का लेख मिटे ना रे भाई,
ज़रा समझो इसकी सच्चाई रे,
कर्म का लेख मिटे ना रे भाई।
इस दुनिया में भाग्य के आगे,
चले ना किसी का उपाय,
कागद हो तो सब कोई बांचे,
कर्म ना बांचा जाए,
इस दिन इसी किस्मत के कारण,
वन को गए थे रघुराई रे।
काहे मनवा धीरज खोता,
काहे तू ना हक रोए,
अपना सोचा कभी ना होता,
भाग्य करे तो होए,
चाहे हो राजा चाहे भिखारी,
ठोकर सभी ने यहां खायी।
कोई लाख करे चतुराई,
कर्म का लेख मिटे ना रे भाई,
ज़रा समझो इसकी सच्चाई रे,
कर्म का लेख मिटे ना रे भाई।
कोई लाख करे चतुराई | Koi Lakh Kare Chaturai Karam Ka | Kavi Pradeep I Hemant Chauhan Bhajan
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