मां का राज ना बाप की चौधर
मां का राज ना बाप की चौधर,
प्यार रहा ना भाई का,
होगे मर्द गुलाम,
बीर के घर मैं राज लुगाई का।
मां का राज बहूं नै ले लिया,
चार्ज घर की ताली का,
आच्छी भूण्डी छोरा बक दे,
कह्या मान कै चाली का,
घर के धन नै साले बरतैं,
कुड़ता सिमता ना हाली का,
खाली हाथ बहाण चाली जा,
सूट सिमा दें साली का,
सास ससुर भी निस्तरगे,
जो खाज्यां माल जमाई का।
भाई का भाई बैरी होग्या,
नाड़ काट ले सूते की,
बहु जेठ नै कैह लिकड़ज्या,
ना पाडुं मुंछ अनपूते की,
मात पिता की कद्र इसी,
जणुं टूक चुगाऊं कुत्ते की,
इसी बीर को मर्द फेर भी,
नौंक चाट ले जूते की,
ये सांझै सिर नै बांध कै पड़ज्यां,
ले ओडा ताप नबाई का।
मां बापां कै तोहमद ला दें,
बोलैं झूठ डरैं कोन्या,
खून पी लिया घर खा लिया,
फिर भी कितै मरै कोन्या,
मां बापां का कह्या काम,
ये बेटा बेटी करैं कोन्या,
बहु और छोरा कदे भूल कै,
चरणां शीश धरैं कोन्या,
घर का मन्दिर छोड़ कै,
पूजैं मन्दिर देवी माई का।
आज काल के छैल गाबरू,
किसे बणे ठणे हांडैं सैं,
घर में भूसे कला करैं,
ये साहब तणे हांडैं सैं,
दारू सुलफा गांझा पीवै,
घणे जणे हांडैं सैं,
मेहर सिंह तू के गावैगा,
ये कवि घणे हांडैं सैं,
लखमीचन्द बणे हांडैं सैं,
पर बेरा ना कविताई का।
क्या ले कर तू आया जग में - VIDHI DESHWAL | CHETAWANI BHAJAN | KYA LE KAR TU AAYA JAG MEIN
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