फूलों से सजाया दरबार राम मेरे आ जाना
फूलों से सजाया दरबार राम मेरे आ जाना
फूलों से सजाया दरबार,
राम मेरे आ जाना,
आ जाना श्रीराम,
प्रभु जी मेरे आ जाना।
घर के अंदर भवन बनाया,
आओ विराजो महाराज,
राम मेरे आ जाना।
हाथ में लोटा गंगाजल पानी,
चरण घुलाओ महाराज,
राम मेरे आ जाना।
चुन चुन बगिया से फूल मैं लाई,
सुंदर बनाया मैंने हार,
राम मेरे आ जाना।
हाथ कटोरी केशर थाली,
तिलक लगाऊं महाराज,
राम मेरे आ जाना।
मैंने जलाई दिया संग बाती,
आरती उतारू महाराज,
राम मेरे आ जाना।
बिन चुन के मैं बेर हूँ लाई,
भोग लगाओ महाराज,
राम मेरे आ जाना,
आ जाना श्रीराम,
प्रभु जी मेरे आ जाना,
फूलों से सजाया दरबार,
राम मेरे आ जाना,
आ जाना श्री राम,
प्रभु जी मेरे आ जाना।
राम मेरे आ जाना,
आ जाना श्रीराम,
प्रभु जी मेरे आ जाना।
घर के अंदर भवन बनाया,
आओ विराजो महाराज,
राम मेरे आ जाना।
हाथ में लोटा गंगाजल पानी,
चरण घुलाओ महाराज,
राम मेरे आ जाना।
चुन चुन बगिया से फूल मैं लाई,
सुंदर बनाया मैंने हार,
राम मेरे आ जाना।
हाथ कटोरी केशर थाली,
तिलक लगाऊं महाराज,
राम मेरे आ जाना।
मैंने जलाई दिया संग बाती,
आरती उतारू महाराज,
राम मेरे आ जाना।
बिन चुन के मैं बेर हूँ लाई,
भोग लगाओ महाराज,
राम मेरे आ जाना,
आ जाना श्रीराम,
प्रभु जी मेरे आ जाना,
फूलों से सजाया दरबार,
राम मेरे आ जाना,
आ जाना श्री राम,
प्रभु जी मेरे आ जाना।
with lyrics दीपावली विशेष राम जी का सुंदर भजन आ जाना श्रीराम...AA JANA SHRIRAM #rambhajan
भक्ति की यह छवि स्नेह से भरी प्रतीक्षा का रूप है — जहाँ आराधक अपने प्रभु को घर नहीं, हृदय में बसाने का निमंत्रण देता है। हर फूल, हर दीया, हर थाली उन भावनाओं का प्रतीक बन जाता है जो केवल प्रेम से सजी हैं, आडंबर से नहीं। यह आमंत्रण किसी बाहरी आगमन का नहीं, भीतर के राम को जाग्रत करने का है — वे राम जो श्रद्धा के दीप में बसते हैं, जिनके चरणों का गंगाजल हर दुःख को धो देता है। प्रत्येक वस्तु, चाहे वह फूल की माला हो या बेर का भोग, उसी सरलता का प्रतीक है जिसमें सच्ची आराधना जीवित रहती है।आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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