मोरा कौन हरे दुःख पीरा होली चौताल

मोरा कौन हरे दुःख पीरा होली चौताल

मोरा कौन हरे दुःख पीरा होली चौताल

मोरा कौन हरे दुख पीरा
बिना रघुवीरा ।
लगे आषाढ़ उमड़ घन गरजे
सावन गरज गंभीरा
अरे सावन गरज गंभीरा ।

उड़े गुलाल, लाल भये बादर
सावन गरज गंभीरा
अरे सावन गरज गंभीरा
अरे हाँ, सावन गरज गंभीरा ।

भादव बिजुरी तड़ा-तड़ तड़के
वै आये चहुँ दिसि नीरा
बिना रघुवीरा
मोरा कौन हरे दुख पीरा
बिना रघुवीरा ।

लगे कुआर उमड़ भये बरखा
कार्तिक निर्मल नीरा
अगहन ओस सतावन लागे
मोरा थर-थर काँपे शरीरा
बिना रघुवीरा ।

मोरा कौन हरे दुख पीरा
बिना रघुवीरा ।

अरे पूस मास जाड़ा जोर होत है
माघे मकर महीना
फागुन फगुआ, चैत्र संग खेले
वै तो केहि पर फेंके अबीरा
बिना रघुवीरा ।

मोरा कौन हरे दुख पीरा
बिना रघुवीरा ।


मोरा कौन हरै दुख पीरा बिना रघुवीरा #चौताला #सहजराम मौर्या एन्ड पार्टी

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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