साधक सावधान रे साधक सावधान लिरिक्स Sadhak Savdhan Re Bhajan Lyrics
साधक सावधान रे साधक सावधान लिरिक्स Sadhak Savdhan Re Bhajan Lyrics
एक एक इन्द्रि के वश में,
सबने प्राण गवाये,
जिणरी पाँचों नाही वश में भाई,
उणरा कौन हवाल,
साधक सावधान रे,
साधक सावधान।
रूप रे वश में भया पतंगा,
आकर्षण लुभाये रे,
जाय पड्यो अग्नि रे भीतर,
देह भस्म कर जाय रे।
भँवरा भया सौरभ रे वश में,
जा बैठा पुष्पों के माय,
नाक सुगन्धि रिझाये रे,
फूल में कलमा जाये रे।
रसना रे वश में मीन भयी,
मीठा स्वाद सुहाय रे,
काटा कंठ पसार रे,
तड़प तड़प मर जाय रे।
काम रे वश गजराज भया,
देखी गजनी कागद री,
शक्तिहीन खुद को कर बैठा,
नाथ डाल ले जाय।
कानो रे वंश में हिरणी भयी,
सुन सुन्दर हो राग रे,
गयी शिकारी हाथों में,
गंवाई सुन्दर देह अपनी।
एक एक इन्द्रि के वश में,
सबने प्राण गवाये,
जिणरी पाँचों नाही वश में भाई,
उणरा कौन हवाल,
साधक सावधान रे,
साधक सावधान।
सबने प्राण गवाये,
जिणरी पाँचों नाही वश में भाई,
उणरा कौन हवाल,
साधक सावधान रे,
साधक सावधान।
रूप रे वश में भया पतंगा,
आकर्षण लुभाये रे,
जाय पड्यो अग्नि रे भीतर,
देह भस्म कर जाय रे।
भँवरा भया सौरभ रे वश में,
जा बैठा पुष्पों के माय,
नाक सुगन्धि रिझाये रे,
फूल में कलमा जाये रे।
रसना रे वश में मीन भयी,
मीठा स्वाद सुहाय रे,
काटा कंठ पसार रे,
तड़प तड़प मर जाय रे।
काम रे वश गजराज भया,
देखी गजनी कागद री,
शक्तिहीन खुद को कर बैठा,
नाथ डाल ले जाय।
कानो रे वंश में हिरणी भयी,
सुन सुन्दर हो राग रे,
गयी शिकारी हाथों में,
गंवाई सुन्दर देह अपनी।
एक एक इन्द्रि के वश में,
सबने प्राण गवाये,
जिणरी पाँचों नाही वश में भाई,
उणरा कौन हवाल,
साधक सावधान रे,
साधक सावधान।
साधक सावधान ॥ Sadhak Savadhan ॥ Patanjali Bhajan
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