ये दान धर्म करना हमें तुमने सिखाया है अग्रसेन भजन

ये दान धर्म करना हमें तुमने सिखाया है अग्रसेन भजन

तेरे आचरण को ही, हमने अपनाया है,
ये दान~धर्म करना, हमें तुमने सिखाया है।।

एक रुपया और एक ईंट, सिद्धांत बनाया था,
सब एक समान जग में, संदेश फैलाया था,
इस अग्रवंश का जग में, तूने नाम बढ़ाया है।।

माता महालक्ष्मी ने, तुम्हें बेटा मान लिया,
तेरे कुल पर मेरी कृपा रहे, ऐसा वरदान दिया,
वरदान के कारण ही, सौभाग्य ये पाया है।।

बस एक तमन्ना है, जब फिर से जन्म मिले,
इस अग्रवंश में ही, हम बनकर फूल खिले,
अब तक जीवन जैसे, सेवा में बिताया है।।

राजेंद्र अग्रवाल बस इतनी आस करे,
कुंडली में धाम बने, जो हम प्रयास करें,
प्रिंस जैन ने भजनों का, एक हार बनाया है।।


ये दान धर्म करना हमें तुमने सिखाया है (अग्रसेन धाम कुण्डली) Prince, Shubham Narela | Aggarsen Bhajan

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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