जब से तुम संग लो लगाई में बड़ी मस्ती में हूँ

जब से तुम संग लो लगाई में बड़ी मस्ती में हूँ


जब से तुम संग लौ लगाई, में बड़ी मस्ती में हूँ,
करके तुम संग आशनाई, में बड़ी मस्ती में हूँ।

छा गई आँखों में, दिल में बस तेरी दीवानगी,
तुम ही तुम बस दे दिखाई, में बड़ी मस्ती में हूँ।

बांकी चितवन सांवली, मनमोहनी सूरत तेरी,
जब से दिल में है समाई, में बड़ी मस्ती में हूँ।

अब तलक है गूंजती बांसुरी ये रस्मयी,
तान जो तुमने सुनाई, में बड़ी मस्ती में हूँ।

न मज़ा सुख में, न दुख में दर्द का अहसास है,
वैद्य तुम ही हो दवाई, में बड़ी मस्ती में हूँ।

न तमन्ना दौलतों की, शोहरतों की दास को,
नाम की करते कमाई, में बड़ी मस्ती में हूँ,
जब से तुम संग लौ लगाई, में बड़ी मस्ती में हूँ।


जब से तुम संग लौं लगाई मैं बड़ी मस्ती में हु। महाराज चित्र विचित्र जी द्वारा राधी रानी का मधुर भजन।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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