हीरे जवाहरात मोती जड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी, करे करामात ये तो बड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी।
खाटू धणी की लाड़ली दुलारी, मोरपंख से श्याम ने सँवारी,
रहे चरणों में हर दम खड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी।
मोरछड़ी का लग जाए झाड़ा, बुरी नज़र को मार पछाड़ा, टाल दे विपदा की हर घड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी।
मोरछड़ी जिसको भी छू ले, कष्ट कलेश सभी वो भूले,
Khatu Shyam Ji Bhajan Lyrics in Hindi
सारी दुविधाएं उसकी झड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी।
मोरछड़ी बबलू को प्यारी, पूरी करे जो बात विचारी, करने रक्षा सरल की खड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी।
हीरे जवाहरात मोती जड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी,
करे करामात ये तो बड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी।
हीरे जवाहरात मोती जड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी, करे करामात ये तो बड़ी, मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी।
श्री खाटू श्याम जी की मोरछड़ी का उल्लेखनीय महत्त्व है की यह भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती है. मोरछड़ी का सम्बन्ध भगवान श्री कृष्ण जी से है, मोर को भगवान श्री कृष्ण के साथ हम सदा ही साथ पाते हैं। मोरपंख के सबंध में किस्सा है की एक बार श्री कृष्ण जी मुरली बजा रहे थे और राधा जी नृत्य कर रही थी, उसी समय एक मोर का पंख निचे गिर गया था तो श्री कृष्ण जी ने उसे उठाकर अपने सर पर धारण कर लिया, अतः यही मोरपंख का महत्त्व है की वे श्री कृष्ण जी के प्रिय हैं. हमारे पूजा घर में भी हम मोरपंख को रखते हैं. मोर पंख धारण करने से गृह दोष दूर होते हैं, जैसे मोरपंख में विविध रंग होते हैं ऐसे ही श्री कृष्ण जी कृपा से आपका जीवन भी रंगों से भरा और सुखद हो जाता है, सुखों के रंगों से भर जाता है। उल्लेखनीय है की मोर को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। बाबा श्याम जी के मंदिर में मोरछड़ी का झाड़ा लगाने से (सर पर मोर छड़ी को लहराकर, छूआना) से भक्तों के समस्त कष्टों का अंत होता है।
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