मेरी दुर्गा हरे गे गढ़वाली भजन

मेरी दुर्गा हरे गे गढ़वाली भजन

अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरै गे।
हाय सार कौतिक चाने मेरी कमरा पटे गे।।

अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरै गे।
हाय सार कौतिक चाने मेरी कमरा पटे गे।।

ये दुर्गा चान चान मेरी कमरा पटे गे।
ये अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरै गे।।

ओ दाज्यू, तुमलै देखी छो यारो, बतै दियो भागी।
रंगीली पिछौड़ी वीकी, बुटली घाघरी,
आंगेड़ी मखमली दाज्यू, मेरी दुर्गा हरै गे।।

ये सार कौतिक चान मेरी कमरा पटे गे।
ये अल्बेर बिखौती मेरी दुर्गा हरै गे।।

द्वारहाट कौतिक मेरी दुर्गा हरै गे।
स्याल्दे का कौतिक मेरी दुर्गा हरै गे।
दुर्गा चाने चाने मेरी कमरा पटे गे।।

ऐ दुर्गा, मी के खाली में टोकली,
गुलाबी मुखड़ी वीकी, काली आँखी।
गालड़ी उगाई जैसी ग्यूं की जै फुलकी,
सुकिला चमकाना दांता मेरी दुर्गा हरै गे।।

हाय सार कौतिक चाने मेरी कमरा पटे गे।
अल्बेर बिखौती मेरी दुर्गा हरै गे।।

ऐ दाज्यू, तलि बाजारा मलि बाजार द्वाराहाट में,
सार कौतिक ढूंढई।
हाय दुर्गा, तू काँ मर गई, पाई गे छे आँखी।।

मेरी दुर्गा हरै गे, हाय सार कौतिक चाने मेरी कमरा पटे गे।
ये अल्बेर बिखौती मेरी दुर्गा हरै गे।
ये दुर्गा चान चान मेरी कमरा पटे गे।।

अब मैं कसिक घर जानु दुर्गा बिना।
कौतिकयारा सब घर नैह गये, धार नैह गो दिना।।

म्यर आँखी भरीण लै गे दाज्यू,
किले हसणो छ ?
मेरी दुर्गा हरै गे।
सार कौतिक चाने मेरी कमरा पटे गे।।

हिरदा दुर्गा हरै गे,
बतै दे दुर्गा हरै गे।।


Kumauni song Meri durga hare gey | Gopal Babu Goswami |

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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