भवसागर से पार उतारे राम नाम की पालकी

जग में फूल्यो फिरे मानवी,
ऊपर चमड़ी खाल की,
एक दिन जीवड़ा न लेबा आसी,
यमराज की पालकी,
एक दिन मनड़ा न लेबा आसी,
यमराज की पालकी।
जिस दिन घर में जन्म लियो है,
बाहर थाल बजायो है,
बाटत फिरे बधाया जग में,
घर घर ढोल बजाओ है।
पीलो ओढयो सूरज पूजयो,
मायड़ हीरा लाल की,
एक दिन जीवड़ा न लेबा आसी,
यमराज की पालकी,
एक दिन मनड़ा न लेबा आसी,
यमराज कि पालकी।
आंगनिया में खेले लालो,
स्कूल पढबा जावे है,
मां बाबा रो कवंर लाडलो,
मोटो होतो जावे है।
चली बात सगाई की,
जद उम्र सोलह साल की,
एक दिन जीवड़ा न लेबा आसी,
यमराज की पालकी,
एक दिन मनड़ा न लेबा आसी,
यमराज की पालकी।
शादी करके आयो रे मानवी,
माने बात लुगाया की,
बाकडली मुछया रों बंदो,
सुध भुलियो संसार की,
फिको पडतो जावे चेहरो,
लाली उड़ गई गाल की।
एक दिन जीवड़ा न लेबा आसी,
यमराज की पालकी,
एक दिन मनड़ा न लेबा आसी,
यमराज की पालकी।
आखिर आकर घैरयो रे बुढ़ापे,
जीव घन घबरावे है,
परडियो पछतावे खाट पर,
हैरा घणा ही आवे है।
रोम रोम में रोग फैल गयो,
हिलबा लागी नाडकी,
एक दिन जीवड़ा न लेबा आसी,
यमराज की पालकी,
एक दिन मनड़ा न लेबा आसी,
यमराज कि पालकी।
मोह माया में फंस गयो बंदो,
फेरी न माला राम की,
कहत कबीर बिना भजन के,
यह काया किस काम की।
भवसागर से पार उतारे,
राम नाम की पालकी,
एक दिन जीवड़ा न लेबा आसी,
यमराज की पालकी,
एक दिन मनड़ा न लेबा आसी,
यमराज कि पालकी।
भवसागर से पार उतारे राम नाम की पालकी । श्री राम भजन । #राम #भजन #bhajan#ram
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