जो रामलला को लाये हैं वे रामराज्य भी लायेंगें लिरिक्स Jo Ramlala Ko Laye Hain Bhajan Lyrics
योगी संतों की धरती का,
फिर सोया भाग्य जगायेंगें,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
जिनके आदर्श राम हैं,
जो करुणा निधान कहलाते हैं,
भाई की खातिर राज त्याग कर,
वनवासी बन जाते हैं,
केवट से अनुनय करते हैं,
शबरी का जूठा खाते हैं।
जो एक शिला को छूकर,
उसको पूजन योग्य बनाते हैं,
तुम जिस जिस रूप में चाहोगे,
वे उस उस रूप में आयेंगें,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
जो वानर मित्र बनाते हैं,
खग मृग का साथ मांगते हैं,
जो राम जानकी की खातिर,
पर्वत से सिंधु लांघते हैं,
पर्याय मित्रता का हैं जो,
जो कभी न धीरज खोते हैं,
तुम राम भला क्या जानोगे,
रावण का वध कर रोते हैं,
बस गए अवध में राम और,
हम क्या अच्छे दिन पाएंगे,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
जो सत्य सनातन सनातनी,
हिंदू हैं भगवाधारी हैं,
जो रोम रोम से राम कृपा के,
कोटि कोटि आभारी हैं,
जो सुबह सूर्य वंदन करते हैं,
राम नाम से शाम करें,
हैं करने और कराने वाले,
राम करें सो काम करें,
अब वे कलयुग की छाती पर,
चढ़कर भगवा लहरायेंगें,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
बस राम सिया के राम नहीं,
वह मर्यादा पुरुषोत्तम है,
जो राम नाम धारण कर ले,
इस युग में वह मन उत्तम है,
बस जिव्हा पर ही राम नहीं,
अंतस में राम बसाने हैं,
अब राम अयोध्या आए हैं,
हमको घर घर में लाने हैं,
गर्वित अब राम की महिमा को,
हम घूम घूमकर गायेंगें,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
फिर सोया भाग्य जगायेंगें,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
जिनके आदर्श राम हैं,
जो करुणा निधान कहलाते हैं,
भाई की खातिर राज त्याग कर,
वनवासी बन जाते हैं,
केवट से अनुनय करते हैं,
शबरी का जूठा खाते हैं।
जो एक शिला को छूकर,
उसको पूजन योग्य बनाते हैं,
तुम जिस जिस रूप में चाहोगे,
वे उस उस रूप में आयेंगें,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
जो वानर मित्र बनाते हैं,
खग मृग का साथ मांगते हैं,
जो राम जानकी की खातिर,
पर्वत से सिंधु लांघते हैं,
पर्याय मित्रता का हैं जो,
जो कभी न धीरज खोते हैं,
तुम राम भला क्या जानोगे,
रावण का वध कर रोते हैं,
बस गए अवध में राम और,
हम क्या अच्छे दिन पाएंगे,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
जो सत्य सनातन सनातनी,
हिंदू हैं भगवाधारी हैं,
जो रोम रोम से राम कृपा के,
कोटि कोटि आभारी हैं,
जो सुबह सूर्य वंदन करते हैं,
राम नाम से शाम करें,
हैं करने और कराने वाले,
राम करें सो काम करें,
अब वे कलयुग की छाती पर,
चढ़कर भगवा लहरायेंगें,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
बस राम सिया के राम नहीं,
वह मर्यादा पुरुषोत्तम है,
जो राम नाम धारण कर ले,
इस युग में वह मन उत्तम है,
बस जिव्हा पर ही राम नहीं,
अंतस में राम बसाने हैं,
अब राम अयोध्या आए हैं,
हमको घर घर में लाने हैं,
गर्वित अब राम की महिमा को,
हम घूम घूमकर गायेंगें,
जो रामलला को लाये हैं,
वे रामराज्य भी लायेंगें।
Yogi Santo ki dharati ka fir soya bhagya jagaenge Jo ramlala ko laye Hain ve ramraj bhi laenge
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