डूबा औधर न तरै मोहिं अंदेशा होय हिंदी मीनिंग Duba Audhar Na Tare Meaning

डूबा औधर न तरै मोहिं अंदेशा होय हिंदी मीनिंग Duba Audhar Na Tare Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit

डूबा औधर न तरै, मोहिं अंदेशा होय।
लोभ नदी की धार में, कहा पड़ा नर सोय॥
 
Duba Audhar Na Tare, Mohi Andesha Hoy,
Lobh Nadi Ki Dhar Me, Kaha Pada Nar Soy.
 
डूबा औधर न तरै मोहिं अंदेशा होय हिंदी मीनिंग Duba Audhar Na Tare Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

मनुष्य अधर में झूल रहा है और माया में डूब रहा है। कबीर साहेब को अंदेशा है की व्यक्ति लोभ रूपी नदी में क्यों सो रहा है यदि वह सावचेत नहीं होता है तो उसे अवश्य ही डूब जाना है। इस दोहे में संत कबीरदास जी लोभ के विषय में बता रहे हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति लोभ में डूब जाता है, वह कभी भी मुक्ति नहीं पा सकता है। लोभ एक ऐसी नदी है जो मनुष्य को अपने अंदर ही समाहित कर लेती है। लोभ के कारण मनुष्य सांसारिक मोह माया में फंस जाता है और वह सही मार्ग से भटक जाता है।
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