काशी पञ्चकम लिरिक्स Kashi Panchkam Lyrics

काशी पञ्चकम लिरिक्स Kashi Panchkam Lyrics



काशी पञ्चकम लिरिक्स Kashi Panchkam Lyrics

मनोनिवृत्ति: परमोपशान्ति:,
सा तीर्थवर्या मणिकर्णिका च,
ज्ञानप्रवाहा विमलादिगंगा,
सा काशिकाSहं निजबोधरूपा।

यस्यामिदं कल्पितमिन्द्रजालं,
चराचरं भाति मनोविलासम्,
सच्चित्सुखैका परमात्मरूपा,
सा काशिकाSहं निजबोधरूपा।

कोशेषु पञ्चस्वधिराजमाना,
बुद्धिर्भवानी प्रतिदेहगेहम्,
साक्षी शिव: सर्वगतोSन्तरात्मा,
सा काशिकाSहं निजबोधरूपा।

काश्या हि काशते काशी,
काशी सर्वप्रकाशिका,
सा काशी विदिता येन तेन,
प्राप्ता हि काशिका।

काशीक्षेत्रं शरीरं,
त्रिभुवनजननी,
व्यापिनी ज्ञानगंगा,
भक्ति: श्रद्धा गयेयं,
निजगुरुचरणध्यानयोग:,
प्रयाग:।

विश्वेशोSयं तुरीय:,
सकलजनमन:,
साक्षिभूतोSन्तरात्मा,
देहे सर्वं मदीये यदि वसति,
पुनस्तीर्थमन्यत्किमस्ति।
इति श्रीमच्छड्कराचार्याविरचितं,
काशीपञ्चकम् सम्पूर्णम्।।


काशी पञ्चकम Kashi Panchkam Adi Shankaracharya Madhvi Madhukar


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