श्रीशुक उवाच लिरिक्स Shrishuk Uvach Bhajan Lyrics

श्रीशुक उवाच लिरिक्स Shrishuk Uvach Bhajan Lyrics


श्रीशुक उवाच लिरिक्स Shrishuk Uvach Bhajan Lyrics

अथ सर्वगुणोपेत: काल: परमशोभन:,
यर्ह्येवाजनजन्मक्षन शान्तर्क्षग्रहतारकम्।

दिश: प्रसेदुर्गगनं निर्मलोडुगणोदयम्,
मही मङ्गलभूयिष्ठपुरग्रामव्रजाकरा।

नद्य: प्रसन्नसलिला ह्रदा जलरुहश्रिय:,
द्विजालिकुलसन्नादस्तवका वनराजय:।

ववौ वायु: सुखस्पर्श: पुण्यगन्धवह: शुचि:,
अग्नयश्च द्विजातीनां शान्तास्तत्र समिन्धत।

मनांस्यासन् प्रसन्नानि साधूनामसुरद्रुहाम्,
जायमानेऽजने तस्मिन् नेदुर्दुन्दुभय: दिवि।

जगु: किन्नरगन्धर्वास्तुष्टुवु: सिद्धचारणा:,
विद्याधर्यश्च ननृतुरप्सरोभि: समं मुदा।

मुमुचुर्मुनयो देवा: सुमनांसि मुदान्विता:,
मन्दं मन्दं जलधरा जगर्जुरनुसागरम्।

निशीथे तमउद्भ‍ूते जायमाने जनार्दने,
देवक्यां विष्णुरूपिण्यां विष्णु: सर्वगुहाशय:,
आविरासीद् यथा प्राच्यां दिशीन्दुरिव पुष्कल:।


Janmashtami 8 1/2 Shloka | Skandha 10 Adhyay 3 | શ્રીમદ્ ભાગવત સ્કંધ ૧૦ અધ્યાય ૩ જન્મ સમયના ૮ ૧/૨


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