(मुखड़ा) तुम अपनी दया का सर पे, मेरे हाथ धरो माँ, हम बच्चों पे कृपा की, बरसात करो माँ, बरसात करो माँ, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी।।
(अंतरा) तुमसे मिलने तेरे मंदिर, हम रोज हैं आते, जोड़ा जो तुझसे रिश्ता, उसको निभाते हैं, एक बार मेरे घर आकर, मुलाकात करो माँ, हम बच्चों पे कृपा की, बरसात करो माँ, बरसात करो माँ, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी।।
हैं जन्मों से प्यासी अँखियां, तेरे दीदार को, दिल तड़प रहा है पाने को, माँ तेरे प्यार को, जी भर के देखूँ तुमको, करामात करो माँ, हम बच्चों पे कृपा की, बरसात करो माँ, बरसात करो माँ, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी।।
कब तक पत्थर दिल बनके, माँ चुपचाप रहोगी, कब प्यार से बेटा अपना, कुंदन को कहोगी, जीवन में मेरे खुशियों का, सौगात भरो माँ, हम बच्चों पे कृपा की, बरसात करो माँ, बरसात करो माँ, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी।।
(अंतिम पुनरावृत्ति) तुम अपनी दया का सर पे, मेरे हाथ धरो माँ, हम बच्चों पे कृपा की, बरसात करो माँ, बरसात करो माँ, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी, माँ अंबे रानी हे जग कल्याणी।।
एक भक्त की माता रानी से किए गए बात चीत का सुंदर वर्णन ~ तुम अपनी दया का सर पे मेरे हाथ धरो मां